किताब की बिक्री से बाबा रामदेव परेशान

 

 

नई दिल्ली। रामदेव बाबा के जीवन पर लिखी गयी किताब की बिक्री कोर्ट के आदेश के बावजूद नहीं रुकी। लेखिका का दावा है कि यह किताब योगगुरु स्वामी रामदेव के जीवन पर आधारित है। योगगुरु ने इसे आदेश की अवमानना बताते हुए फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसपर किताब की लेखिका, प्रकाशक और अन्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। दूसरी तरफ प्रतिवादियों ने विवादित किताब के प्रकाशन और सर्कुलेशन पर रोक लगाने वाले आदेश को उच्च अदालत में चुनौती दी है।
स्वामी रामदेव की ओर से ऐडवोकेट प्रमोद नागर ने यह अवमानना याचिका दायर की है। उन्होंने बताया कि 4 अगस्त को विवादित किताब के प्रकाशन से लेकर इसके सर्कुलेशन और बिक्री तक पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी। बावजूद इसके जगह -जगह इस किताब की बिक्री होती हुई पाई गई। इस पर उन्होंने स्वामी रामदेव की ओर से चंद रोज पहले ही कोर्ट में याचिका दायर करते हुए इसे अदालत के आदेश की अवमानना बताया। इस पर विवादित किताब की लेखिका प्रियंका पाठक नारायण और पब्लिशर जगरनॉट बुक्स पब्लिकेशन और अन्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। अदालत ने 4 अगस्त को स्वामी रामदेव को राहत देते हुए इस किताब के प्रकाशन और बिक्री पर रोक लगा दी थी। योगगुरु का कहना था कि विवादित किताब में उनके जीवन से जुड़े तथ्यों को अपमानजनक ढंग से पेश किया गया है। अडिशनल सीनियर सिविल जज निपुण अवस्थी ने इसके प्रकाशन और बिक्री करने पर रोक लगाने के साथ ऑनलाइन मार्केटिंग पोर्टल्स को भी यह किताब बेचने से रोक दिया था। साथ ही प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए 1 सितंबर के लिए समन किया था। कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए भी यही दिन तय किया गया, लेकिन महज लेखिका ने इसका जवाब दिया, जबकि प्रकाशक समेत अन्य ने यह कहते हुए इसके लिए समय देने की मांग की कि उन्हें रोक से संबंधित आदेश की कॉपी नहीं मिली। इस पर अदालत ने कोर्ट रूम में ही आदेश की कॉपी सर्व करवाते हुए अब मामले में अगली सुनवाई के लिए 16 सितंबर की तारीख तय कर दी है।