किम जोंंग से भी ज्यादा सनकी था हिटलर

 

 

 

 

फीचर डेस्क। 20वीं सदी के सबसे क्रूरतम सम्राट के रूप में इतिहास के पन्नों में दर्ज है जिसके किस्से सुनते ही आज भी इंसान की रूह कांप उठती है। माना जाता है कि हिटलर ने अपने कार्यकाल के दौरान करीब 7 करोड़ लोगों को मरवा दिया था। शायद यह दुनिया का पहला तानाशाह था जिसने अपनी सनक को पूरा करने के लिए इतने लोगों की जान ली। यह सनकी जर्मनी का शासक एवं सुप्रीमों एडोल्फ हिटलर था जिसका जन्म 20 अप्रैल 1889 में ऑस्ट्रिया देश में हुआ जिसके पिता अलाइस हिटलर का 3 जनवरी 1903 को फेफड़ें के रोग के कारण निधन हो गया। पिता की मौत से अनाथ हुए हिटलर को एक और सदमा 21 दिसम्बर 1907 को लगा जब कैंसर के चलते उसकी मां क्लाजा पॉल्जी का भी निधन हो गया। जिससे वह गहरे सदमे में डूब गया। माता-पिता की मौत के बाद अनाथ हुआ हिटलर गरीबी के चलते ना तो शिक्षा ग्रहण कर सका और न ही वह अपना पेन्टर बनने का सपना साकार कर सका। 6 भाई-बहनों के मध्य चौथे नम्बर का हिटलर गरीबी के झंझावतों से जूझते हुऐ गरीबी एवं अभावों की जिन्दगी के बीच हिटलर एक तरफ फटे-हाल और कई-कई दिनों तक भूखे पेट सोने पर मजबूर था, वहीं दूसरी तरफ देश और जाति की सच्चाई देखने के लिये राजा से लेकर भिखारी की हालत ने उसे विचलित कर दिया। जहां ईमानदारी से चुपचाप काम करने वालों को चालाक, मक्कार, झूठे, धोखेबाज लोग ठगने और लूटने में लगे थे। जिससे हिटलर को प्रजातंत्र बिल्कुल पसंद नहीं आया और उसने राजतंत्र और तानाशाही के विकल्प में से लोकतंत्र को चुना। सारी दुनिया के मजदूर माक्र्सवाद को लाने के लिये एकजुट हो गए और सारी दुनिया पर राज करने की तमन्ना जाग उठी थी। जबकि हिटलर वोटों की लचर राजनीति और बहुमत के खेल को गहराई तक समझ चुका था। माक्र्सवादी विचार धारा से हिटलर को भारी नफरत हो गई। जोकि यहूदियों की देन थी। जिससे हिटलर में यहूदियों के प्रति भी गहरा रोष था। पांच वर्ष तक वियना में दर-दर की ठोकरें खाने के बाद हिटलर इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि वर्तमान राजनैतिक ढांचा देशहित में नहीं है। देश की ताकतों को एकजुट कर व्यवस्था को बदलने के लिये राष्ट्रवादी आन्दोलन चलाने का जोश उत्पन्न करने के साथ वियना को छोडक़र म्यूनिख पहुंच गया। जहां वह एकांत में बैठकर देश-समाज, दुनिया को लेकर मंथन करता रहता। इस दौरान हिटलर ने 5 फरवरी 1914 को सेल्सवर्ग में सेनाभर्ती के लिये आवेदन किया लेकिन भर्ती अधिकारियों ने उसे कमजोर बताते हुऐ बाहर कर दिया जिससे हिटलर को गहरा धक्का लगा।