अखिलेश बोले: 2019 में बीजेपी से सूद समेत होगा हिसाब

 

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी बुनियादी मुद्दो से हटकर राजनीति कर रही है। उसकी मानसिकता संकीर्ण और बदले की भावना से भरी है। विपक्षी नेताओं को झूठे मामलों में फंसाने की साजिशें की जा रही है। भाजपा की केंद्र और राज्य सरकारें जनता को धोखा देकर बनी हैं। सन् 2019 में भाजपा से सूद समेत हिसाबकिताब बराबर हो जाएगा।
श्री यादव आज पार्टी मुख्यालय, लखनऊ में बड़ी संख्या में आए पार्टी कार्यकश्र्राओं तथा विभिन्न जनपदों से आए नागरिकों, अधिवक्ताओं, प्रोफेसरों, नौजवान छात्रों, मौलानाओं तथा महिलाओं को सम्बोधित कर रहे थे। उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष सर्वश्री नरेष उत्तम पटेल, पूर्व मंत्री राजेंद्र चैधरी, एम.एल.सी. एस.आर.एस. यादव तथा अरविन्द कुमार सिंह भी मौजूद थे। श्री यादव ने कहा कि देष में युवा ही क्रांति के वाहक हैं। हमें डिजिटल इण्डिया नहीं, किसानों और नौजवानों का खुशहाल भारत बनाना है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आबादी के हिसाब से जातीय हक मिलना चाहिए। वर्तमान भाजपा सरकार गरीबो, नौजवानों और किसानों के हक मार रही है। नोटबंदी और जीएसटी ने देश की अर्थव्यवस्था चैपट कर दी है। उन्होंने कहा कि जब बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से मिलेगा। भाजपा समाज को तोडऩे और बांटने में लगी है। इसके अच्छे परिणाम नहीं होंगे।
अखिलेश यादव से आज बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिले जिन्हें समाजवादी सरकार में सहायता मिली थी। वे पूर्व मुख्यमंत्री जी के प्रति उन्होंने कृतज्ञता भाव से भरे थे। श्रीमती रीना मिश्रा, विकास नगर लखनऊ से आई थीं। उनको शिक्षामित्र की नौकरी मिली थी। बेटी का आपरेशन कराने के लिए अखिलेश जी की मदद के लिए वे बराबर धन्यवाद कर रही थीं। कल्याणपुर, कानपुर के श्री लालू पाल के तीन वर्ष पूर्व ट्रेन हादसे में दोनों पैर कट गए थे। वे बताते हैं कि श्री अखिलेश यादव ने तब 5.5 लाख रूपए देकर मदद आपरेशन कराया था। जयपुर से लखनऊ चलकर सुश्री कंचन यादव श्री अखिलेश यादव जी से सिर्फ मिलने आई थीं। श्री विजय पाल सिंह जनपद श्रावस्ती थाना सिरसिया के गांव पैकोरी के निवासी हैं। उनका कहना था कि लोकतंत्र सेनानियों को 15 हजार रूपए की मासिक पेंशन देकर अखिलेश जी ने लोकतंत्र का सम्मान किया है। श्री अजय दिवाकर कानपुर से मोटर साईकिल पर लखनऊ सिर्फ अखिलेश जी से मिलने आए हैं। छिबरामऊ के साहिबे आलम मुम्बई से तीन वर्ष बाद लौटे हैं। वे कहने लगे पूना- मुम्बई हाईवे से ज्यादा बेहतर सडक़ आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे है।