उठ रहा सवाल: लोकसभा से क्यों नही दे रहे योगी इस्तीफा

 

लखनऊ। छह महीने का कार्यकाल पूरा कर रही उप्र की योगी आदित्यनाथ सरकार के समाने दो लोकसभा व एक विधानसभा उपचुनाव और नवंबर में होने वाले नगर निकायों के चुनाव चुनौती है। इस चुनाव में ज्यादातर दल अपने चुनाव चिंह में लडऩे का फैसला कर चुके है। राज्य में 16 नगर निगमों और 633 नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में जीत दर्ज कराना चुनौती है। उप्र के 16 नगर निगमों 4 में पहली बार चुनाव होगा।
गौरतलब है कि विधान परिषद का सदस्य चुने जाने के बाद भी उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या ने लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा नही दिया है। इस्तीफा न देने पर विधान परिषद के निर्वाचन के 14 दिन के भीतर लोकसभा की सदस्यता स्वत: समाप्त हो जाएगी। योगी और मार्या 8 सितंबर को विधान परिषद के लिए निर्वाचित हुए थे। इस लिहाज से उनकी लोकसभा सदस्यता 23 सितंबर को स्वत: समाप्त हो जाएगी।
इसके साथ ही सरकार के कामकाज पर जनता की राय नगर निकाय के चुनाव में झलक दिखायेगी। पिछली निकाय चुनाव के दौरान कुल 12 नगर निगमों में 10 में बीजेपी को जीत मिली थी पहली बार बने अयोध्या एवं मथुरा नगर निगम पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हैं। पिछले चुनाव में पार्टी को 42 नगर पालिकाओं और 36 नगर पंचायतों में ही जीत मिली थी। विधानसभा आम चुनाव में शहरी सीटों पर भाजपा का प्रदर्शन शानदार था। पार्टी के सामने इन चुनाव के लिए योग्य उम्मीदवार का चयन अहम है। प्रत्याशी चयन के लिए निकाय, जिला एवं क्षेत्र स्तर तक स्क्रीनिंग होगी। प्रदेश नेतृत्व की आखिरी मुहर लगने के बाद नाम जारी होंगे। दूसरे दलों के प्रभावी और जिताऊ चेहरों को अपना बनाने में पार्टी को गुरेज नहीं रहेगा। हालांकि, प्रत्याशियों की घोषणा आखिरी मौके पर करने की पार्टी की रणनीति पर अमल करेंगें।