डिजीटलीकरण ने खोली यूपी के मदरसों की पोल

लखनऊ। सरकारी कामकाज के डिजीटल होने से कई राज खुल रहें है। मदरसों के ऑन लाइन होने के साथ तमाम कमियां सामने आने लगी है। सरकार ने अगस्त में मदरसा पोर्टल की शुरुआत की थी। इसमें सभी मदरसों को 15 सितंबर तक अपने यहां के शिक्षकों और उनके वेतन भुगतान की जानकारी दर्ज करनी थी। इस पोर्टल का उद्देश्य मदरसों को दिए जाने वाले अनुदान के इस्तेमाल पर नजर रखना था। इस पड़ताल में 46 मदरसे ऐसे निकले जिनके मानक पूरे नही थे। इस बात की जानकारी होने के बाद मंत्री बलदेव सिंह ओलख ने सभी 46 मदरसों की ग्रांट रोकने के निर्देश दे दिए है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री बलदेव सिंह ओलख ने कहा कि यह वह मदरसे हैं जो मानक पूरे नहीं करते हैं। इनमे कुछ में कमरे नही हैं तो कुछ में शिक्षक नही हैं। फिलहाल इन्हें मानक पूरे करने के निर्देश दिए गए हैं। मानक पूरे होने पर अनुदान फिर से शुरू हो जाएगें। प्रदेश सरकार हर साल 560 मदरसों को अनुदान राशि देती है। इस अनुदान राशि में शिक्षकों की सैलरी और रख रखाव का खर्च शामिल होता है। जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों की रिपोर्ट में कहा गया है कि मदरसों में सैलरी तो कम दी जाती है, लेकिन हस्ताक्षर ज्यादा पर करवाया जाता है यानी रिकॉर्ड में जितनी सैलरी दी जाती है, उससे ज्यादा दिखाई जाती है. इतना ही नहीं, इनमें से कुछ मदरसों में पढ़ाई लिखाई सिर्फ कागजों में ही दिखाए जाने का आरोप है। छात्रों की संख्या में गड़बड़ी की भी शिकायतें मिली है।पिछले महीने राज्य सरकार ने आदेश जारी किया था कि सभी मदरसों को हिंदी में मदरसे का नाम, खुलने और बंद होने का वक्त समेत तमाम जानकारियां लिखनी होंगी। इसके साथ ही पोर्टल पर पूरी जानकारी देनी होगी।