शनि बदल रहे हैं 26 अक्टूबर को घर

 

फीचर डेस्क। चार दिन बाद शनि महाराज घर बदल रहे हैं। शनि महाराज के घरपरिवर्तन को ग्रह मंडल की बड़ी घटना माना जाता है। ज्योतिष में वैसे तो नौ ग्रहों का अपना अलग अलग महत्व है और प्रत्येक ग्रह हमारे जीवन के कुछ विशेष पक्षों को नियंत्रित करता है परंतु ज्योतिष में भी जिस एक ग्रह का सर्वाधिक महत्व है वह है शनि। शनि को ज्योतिष में कर्म, आजीविका, जनता, सेवक, नौकरी, परिश्रम, तकनीक, तकनीकी कार्य, मशीने, गहन अध्ययन, आध्यात्म, तपस्या, पाचन तन्त्र, हड्डियों के जोड़, लोहा, पेट्रोलियम आदि का कारक माना गया है।शनि का किसी भी एक राशि में इसका अवधि काल, प्रत्येक ग्रह का एक राशि में गोचर या संचार करने का एक निश्चित समय होता है जैसे सूर्य एक राशि में एक माह तक रहता है मंगल डेढ़ माह तथा बृहस्पति एक वर्ष तक एक राशि में रहता है परंतु शनि सबसे अधिक समय तक एक राशि में रहने वाला ग्रह है। शनि एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक गोचर करता है और एक राशि में ढाई वर्ष पूरे होने पर अगली राशि में प्रवेश करता है इस प्रकार बारह राशियों के राशि चक्र को पूरा करने में शनि को तीस वर्ष का समय लगता है। शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक संचार करता है और इतने लम्बे समय तक एक राशि में रहने के कारण ही नवग्रहों में शनि हमारे जीवन को सर्वाधिक रूप से प्रभावित करता है।शनि जब किसी एक राशि से निकलकर अगली राशि में प्रवेश करता है तो यह ज्योतिष की गणनाओं में सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण घटना होती है। हमारे जीवन में होने वाली बड़ी घटनाएं या बड़े परिवर्तन सामाजिक, राष्ट्रिय अंतरराष्ट्रीय और भौगोलिक रूप से होने वाले बड़े परिवर्तन या घटनाओं में भी शनि के राशि परिवर्तन की एक बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है और शनि के एक राशि से दूसरी राशि में जाने पर विभिन्न राशियों पर चल रही साढेसाती और ढैय्या के प्रभाव की समीकरण भी बदल जाते हैं।वैसे तो शनि का 26 जनवरी 2017 को धनु में प्रवेश हो गया था लेकिन वक्री होने से 20 जून को फिर से शनि वृश्चिक राशि में आ गए थे। पूर्ण रूप से शनि का धनु राशि में प्रवेश अब 26 अक्टूबर को होगा। 26 अक्टूबर बृहस्पतिवार को मध्याह्न 3 बजकर 20 मिनट पर शनि का धनु राशि में प्रवेश होगा। जनवरी 2020 तक शनि धनु राशि में ही गोचर करेंगे।