हिन्दू देश बनने की राह पर फिर नेपाल

Prachanda
काठमांडू। नेपाल एक बार फिर हिन्दू देश बनने की राह पर चल निकला है। राजशाही के दौरान यह देश पूरे विश्व में एकलौता ऐसा देश था जोकि हिन्दू देश घोषित था मगर जब राजशाही खत्म हुई और लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल हुई तो इस देश से हिन्दू देश की पदवी भी चली गयी। संविधान में संशोधन कर इसे खत्म किया गया था। मगर अब फिर से इसे हिन्दू देश बनाने की पहल नेपाल के प्रमुख माओवादी नेता प्रचंड ने की है।
यूसीपीएन (माओवादी) प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि संविधान में धर्मनिरपेक्षता शब्द उचित नहीं है और नए संविधान में इसके स्थान पर कोई दूसरा उचित शब्द लाया जाना चाहिए। प्रचंड ने कहा कि नए संविधान को अंतिम रुप देते समय इस शब्द को बदलने का विचार चल रहा है क्योंकि यह आम लोगों की भावनाओं को आहत करता है।
प्रचंड ने कहा, हमने लोगों की राय लेने के दौरान पाया कि लोग धर्मनिरपेक्षता शब्द के इस्तेमाल से बहुत नाराज और आहत हैं। ऐसे में संविधान में इस शब्द को किसी दूसरे उचित शब्द से बदला जाएगा। गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को सीपीएन-यूएमएल प्रमुख केपी शर्मा ओली ने भी इसका संकेत दिया था कि नए संविधान से धर्मनिरपेक्षता शब्द हटाया जाएगा।
सीपीएन-यूएमएल और नेपाली कांग्रेस के कई नेता हमेशा से नेपाल को धर्मनिरपेक्ष देश घोषित किए जाने के खिलाफ रहे हैं और वे नेपाल को हिंदू देश के तौर परिभाषित करने का गोपनीय रूप से समर्थन करते रहे हैं।