देव दीपावली के लिए काशी में तैयारी: जलेंगे लाखों दीपक

 

वाराणसी। देवों की दीपावली यानी देवदीपावली मनाने के लिए काशी तैयार है। लोगों का उत्साह चरम पर है। गंगा तट पर अलौकिक छटा का उद्भुत नजारा देखने के लिए न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के तमाम देशों से हजारों लोग शहर में डेरा डाल चुके हैं। अब सभी को इंतजार है कार्तिक पूर्णिमा की शाम सूर्य के डूबने और चांद के निकलने का।काशी के 84 घाटों पर दीपों की ऐसी रोशनी जगमगाती है, मानों पृथ्वी पर स्वर्ग उतर आया हो। घाटों की साज सज्जा तक अंतिम चरण में है। लगभग सभी घाटों पर फूल-माला से सजावट शुरू हो गई है। बनारस की पहचान बन चुकी देव दीपावली का पर्यटन में भी बड़ा योगदान है। बनारस में तकरीबन 600 छोटे-बड़े होटल, लॉज हैं। इन सभी जगहों पर नो रूम के बोर्ड लग चुके हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवताओं की विनती पर भगवान शिव ने तीनो लोक में आतंक का पर्याय बने त्रिपुरासुर का वध किया था। भगवान शिव के इस कृत्य से उपकृत देवताओं ने स्वर्ग लोक में दीपोत्सव मनाया था। तब से कार्तिक पूर्णिमा को देवदीवाली मनाने की प्रथा लोक चलन में आई। पूर्णिमा पर गंगा स्नान के विशेष महत्व और होने वाली अपार भीड़ को देखते हुए सभी घाटों पर सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं।इन दीपों की जगमगाहट नेताओं को भी बनारस खींच लाती है। इस साल भी कई प्रमुख राजीतिक हस्तियां देवदीपावली की आभा का दर्शन करेंगी। इनमें भैसासुर घाट पर भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सपरिवार उपस्थित होंगे। दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति के आयोजन में पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी होंगी तो ठीक बगल में बने गंगा सेवा निधि के मंच पर गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनन्दी बेन पटेल सपरिवार मौजूद रहेंगी।
वाराणसी। धरती पर स्वर्ग देखना है तो चले आइए आज शाम गंगाघाट। जहां चांदनी रात में झिलमिलाते सितारों का दीदार कराने की पूरी तैयारी हो चुकी है। मां जान्ह्ववी की महाआरती को भब्य रूप देने के साथ ही गंगा की शांत लहरों पर असंख्य दीपदान के ‘इस्तकबाल’ को काशी तैयार है। बस इंतजार है भगवान भास्कर के अस्तांचल का। वैदिक मंत्रों के बीच असंख्य दीप अस्सी घाट से लगायत आदिकेशव घाट जगमगाएंगे। कुंड व सरोवर भी जगमगाएंगे।पूरे वर्ष स्वच्छ पानी को तरसने वाली वरुणानदी का तट भी झालरों की झिलमिलाहट के बीच जगमगाएगा। देवदीपावली से जुड़ी तमाम समितियों का दावा है कि अबकी परम्परागत देवदीपावली में आधुनिकता का भी पुट होगा और आने वाले देशी-विदेशी सैलानी अलौकिक एवं नयनाभिराम दृश्य को अपलक निहारेंगे।