प्रदूषण पर राज्य सरकारों ने दी केन्द्र को जानकारी

 

नयी दिल्ली। दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण के गहराते संकट को देखते हुये राज्य सरकारों ने इस दिशा में उठाये गये कदमों की जानकारी केन्द्र सरकार को दी है। केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा गठित समिति को दिल्ली, हरियाणा और पंजाब सरकार ने पराली जलाने और वाहन जनित प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण करने के लिये किये गये तात्कालिक उपायों की जानकारी दी है। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के तहत दिल्ली के प्रवेश मार्गों से आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई करने वाले ट्रकों के अलावा अन्य ट्रकों का दिल्ली में प्रवेश प्रतिबंधित करने सहित अन्य उपायों की जानकारी दी है।मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि हरियाणा और पंजाब ने भी पराली जलाने को रोकने के लिये की गयी कार्यवाही से अवगत कराया है। हरियाणा सरकार ने फसल अवशेष के समुचित प्रबंधन के लिये केन्द्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी 45 करोड़ रुपये की राशि में 39 करोड़ रुपये खर्च कर पराली जलाने पर प्रभावी नियंत्रण करने का दावा किया है।दिल्ली सरकार ने मंत्रालय को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में भवन निर्माण परियोजनाओं पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गयी है। जिससे भवन निर्माण जनित धूल की समस्या से निजात मिल सके। साथ ही शिक्षा विभाग ने प्राथमिक स्कूलों का अवकाश और माध्यमिक स्कूलों में बच्चों को कक्षाओं तक ही सीमित रखने को कहा गया है जिससे बच्चे बाहर प्रदूषण जनित धुंध के संपर्क में आने से बच सकें। इसके अलावा सरकार ने सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिये पार्किंग की दर में चार गुना बढ़ोतरी लागू कर परिवहन निगम की बसों और मेट्रो के फेरे बढ़ा दिये गये हैं।हालांकि इसके साथ ही राज्य सरकारों के बीच इस समस्या को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर दिल्ली में लगभग 40 हजार किसानों द्वारा 40 हजार हेक्टेयर जमीन पर की जा रही खेती से निकलने वाली पराली को जलाने से रोकने के लिये किये उपाय बताने को कहा। खट्टर ने केजरीवाल पर प्रदूषण के मुद्दे पर राजनीति न करने की नसीहत देते हुये पंजाब सरकार पर भी पराली जलाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया।खट्टर ने लिखा कि हरियाणा सरकार पराली को जलाने से रोकने के लिये इसके उचित प्रबंध पर 39 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। इसका असर उपग्रह से मिल रही तस्वीरों से लगाया जा सकता है। इन तस्वीरों में पिछले सालों की तुलना में हरियाणा में जलायी जाने वाली पराली से उठने वाले धुंये की मात्रा में खासी कटौती साफ देखी जा सकती है। जबकि पंजाब सरकार ने केन्द्र सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन कोष से जारी 97.58 करोड़ रुपये राशि का अब तक बिल्कुल भी उपयोग नहीं किया है।