हलाला और तलाक से नाराज महिलाएं सड़क पर उतरी, बोर्ड का पुतला फूंका,

लखनऊ जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी सहित उप्र में कई जगहों पर मुस्लिम महिलाओं ने शुक्रवार को आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का पुतला फूंका है। तलाक और हलाला के मुद्दे पर बोर्ड के रूख से मुस्लिम महिलाएं नाराज है। बरेली की तलाक पीड़िता निदा खान को इस्लाम से खारिज करने के फतवे से महिलाएं गुस्से में है।लखनऊ जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी सहित उप्र में कई जगहों पर मुस्लिम महिलाओं ने शुक्रवार को आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का पुतला फूंका है। तलाक और हलाला के मुद्दे पर बोर्ड के रूख से मुस्लिम महिलाएं नाराज है। बरेली की तलाक पीड़िता निदा खान को इस्लाम से खारिज करने के फतवे से महिलाएं गुस्से में है।वाराणसी में मुस्लिम महिला फाउंडेशन से जुड़ी महिलाओं ने हुकुलगंज में पुतला दहन किया। मुस्लिम महिला फाउंडेशन के अलावा बीएचयू छात्रों ने भी लंका सिंह द्वार पर मुस्लिम पर्सनल लॉ का पुतला फूंका। छात्रों ने निदा खान के समर्थन नारेबाजी भी की। आल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने कहा है कि तलाक पीड़िता निदा खान के साथ कई दूसरी तलाक व हलाला पीड़िताओं के मामले से महिलाओं में गहरी नाराजगी है। अंबर ने कहा कि जो भी अल्लाह के बनाये हुए कानून वो मुकम्मल हैं, लेकिन हलाला इंसानों के द्वारा बनाया गया कानून है। जिसे उन्होंने अपनी सहुलियत के लिए बनाया है। हलाला से औरतों की जिंदगी दोजख बन जाती है यह उनके आत्मसम्मान और इज्जत के खिलाफ खिलवाड़ होता है। नबी ने भी हलाला पर लानत भेजी थी, इसलिए यह प्रथा बंद हो जानी चाहिए। महिलाओं को इंसाफ नहीं मिल पाता है वो शरई अदालत के चक्कर काटती रहती हैं। हलाला के खिलाफ कोर्ट में पीटिशन दी हुई है और हमें इंसाफ की पूरी उम्मीद है। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि शरीयत महिलाओं की सहुलियत के लिए बनाई गई थी। जिसमें बुनियादी तौर पर औरत-मर्द में ना इत्तेफाकी होने पर तलाक हो जाता है या औरत खुला कर अलग हो जाती है। उन्होने कहा कि हलाला करने कराने वालों के खिलाफ रेप का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। मुस्लिम महिला फाउंडेशन की सदर नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने कहा कि महिलाओं पर हाथ उठाने वाले मौलानाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। गौरतलब है कि निदा खान के खिलाफ जारी फतवे में कहा गया है कि, अगर निदा खान बीमार पड़ती हैं तो उन्हें कोई दवा उपलब्ध नहीं कराई जाएगी। अगर उनकी मौत हो जाती है तो न ही कोई उनके जनाजे में शामिल होगा और न ही कोई नमाज अता करेगा।  फतवे में यह भी कहा गया है कि, अगर कोई निदा खान की मदद करता है तो उसे भी यही सजा मिलेगी।
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