अधिकारियों की मनमर्जी: जीडीए डाल रहा कमियों पर पर्दा

श्यामल मुखर्जी,गाजियाबाद। विकास प्राधिकरण गाजियाबाद द्वारा कर्पूरी ठाकुर की याद में घोषित की गई कर्पूरी पुरम आवासीय योजना में निर्मित डुप्लेक्स भवनो में घटिया सामग्री प्रयुक्त होने के कारण जर्जर होने की जिम्मेदारी के लांछन से बचने के लिए पर्दा डालने हेतु भवनो को तुरत फुरत आनन-फानन में अभियंताओं की सलाह पर अधिकारियों द्वारा डुप्लेक्स भवनो को विक्रय करने के लिए नीलामी की जा रही है। इस महा घोटाले की सूचना प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन विभाग उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ को गाजियाबाद के वरिष्ठ नागरिक/सामाजिक कार्यकर्ता श्री एमपी शर्मा( प्रांतीय अध्यक्ष,उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण सेवानिवृत्त कर्मचारी संगठन) द्वारा पत्र के माध्यम से प्रेषित की गई है। श्री एमपी शर्मा ने पत्र में लिखा कि गाजियाबाद एवं एनसीआर क्षेत्र के तथा लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार के अनुसार श्री परमानंद शर्मा, कनिष्ठ सहायक, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की मृत्यु का कारण जीडीए की उपेक्षा पूर्ण गलत नीति के कारण बताया जा रहा है। उन्होंने अवगत कराया कि प्राधिकरण की कर्पूरी पुरम (गोविंदपुरम) योजना में लगभग 200 भवन लगभग 10 वर्ष पूर्व निर्मित किए गए थे जिनकी वर्तमान एवं भौतिक स्थिति बद से बदतर जर्जर दयनीय हालत है जो भवन स्टाफ को स्टाफ क्वार्टर के रूप में आवंटित है उन भवनों में निवास कर रहे प्राधिकरण कर्मचारियों ने अपने निजी स्रोतों से धनराशि खर्च करके भवनों को संतोषजनक रहने योग्य किया हुआ है। शेष भवन जो किसी को आवंटित नहीं है उनकी स्थिति न सिर्फ जर्जर हालत में है बल्कि किसी अप्रिय घटना होने की स्थिति में है। श्री एमपी शर्मा ने उदाहरण देते हुए बताया कि गाजियाबाद के नया बस अड्डा/शहीद स्मारक मेट्रो स्टेशन के समीप पिछले तीन दशकों से निर्मित एवं रखरखाव रहित महिंद्रा टावर उच्च कोटि के निर्माण का उदाहरण है। तीन दशक बीत जाने के बाद भी महिंद्रा टावर बगैर किसी मेंटेनेंस के संतोषजनक स्थिति में स्थापित है जबकि कर्पूरी पुरम (गोविंदपुरम) योजना में मात्र एक दशक पूर्व निर्मित डुप्लेक्स भवन जर्जर स्थिति में किन कारणों से पहुंचे? तथा इन भवनों में घटिया निर्माण सामग्री लगाए जाने का जिम्मेदार कौन है? बगैर इस बात की जांच कराए एवं भवनों को बोली के माध्यम से नीलाम करके निर्माण कार्य में प्रयुक्त घटिया सामग्री का उपयोग एवं भ्रष्टाचार को दफन करने का सिर्फ प्रयास मात्र है। सर्वप्रथम भवनों के निर्माण में प्रयुक्त घटिया सामग्री एवं निर्माण में बरती गई लापरवाही के लिए सी.बी.आर.आई. रुडक़ी की प्रयोगशाला से जांच कराई जानी अति आवश्यक है।
श्री शर्मा ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि प्राधिकरण की बोर्ड बैठक के आलोक में उपाध्यक्ष महोदया द्वारा गठित समिति द्वारा उक्त भवनो में निवास कर रहे कर्मचारियों के भवनों को एकीकृत करते हुए शेष भवनो को नीलाम किए जाने की संस्तुति उपाध्यक्ष गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा प्रदान की गई थी लेकिन प्राधिकरण अधिकारी घटिया सामग्री के उपयोग एवं निर्माण कार्य में अनियमितता और भ्रष्टाचार को दफन करने की नीति के तहत उक्त मामलों का तत्काल निस्तारण कर देना चाहते हैं।
एमपी शर्मा ने प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन विभाग लखनऊ से मांग की कि पत्र में वर्णित परिस्थितियों का संज्ञान लेते हुए सर्वप्रथम उक्त भवनों के जर्जर स्थिति में पहुंचने के लिए घटिया सामग्री के उपयोग व निर्माण कार्य में बरती गई अनियमितता/लापरवाही में भ्रष्टाचार की जांच कराते हुए दायित्व निर्धारित किए जाएं तथा उक्त मामलों में निवासित कर्मचारियों के लिए अन्यत्र वैकल्पिक आवासीय व्यवस्था सुनिश्चित की जाए तत्पश्चात ही उक्त भवनो के निस्तारण की कार्रवाई की जानी चाहिए।