आशुतोष मिश्र, अमेठी। देश के पीएम नरेन्द्र मोदी से लेकर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ तक गरीबों, दलितों के लिए कितने ही कामों की फेहरिस्त गिना दें मगर उसकी जमीनी सच्चाई कितनी है यह इस खबर से पता लगेगा।
अमेठी से सरकार के दावों की जमीन हकीकत कुछ अलग ही कहानी बयां करती है। जिले के जामो ब्लॉक के जनापुर ग्राम पंचायत के गढ़ी लालशाह गांव का है। यहां राम अवध और गंगादीन आज 3 साल से पंचायत भवन में रहकर अपने दिन काट रहे हैं। न प्रशासन को उनकी कोई फिक्र है न ही जनता की सेवा का तमगा लेने वाले जनसेवकों को। दरअसल 3 साल पहले राम अवध के घर में आग लग गई थी। इससे उनकी पूरी गृहस्थी और मवेशी जलकर राख हो गया थे, तब से इन दोनों भाइयों का आशियाना ही उजड़ गया और परिवार की माली हालत बद से बदतर हो गई। सवाल यह है कि जनपद में हर गरीब तक पीएम आवास योजना के पात्र लाभार्थियों तक पक्के आवास पहुंचाने का दावा करने वाली सरकार और प्रशासन की योजनाएं आखिर कहां गुम हैं? जो इस गरीब परिवार को करीब तीन साल से पंचायत भवन में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। क्या ये परिवार इस योजना के पात्र नहीं हैं?वहीं पूरे मामले पर अमेठी के जिम्मेदार अधिकारी कहते हैं कि मुख्यमंत्री आवास किश्त का पैसा 3 बार में लाभार्थी के खाते में जाता है, वो भी मकान के सत्यापन के बाद। अमेठी के जामो ब्लॉक के जनापुर गांव का ये मामला मेरे संज्ञान में आया था। ये दो व्यक्ति है। एक का नाम राम अवध है और दूसरे का नाम गंगादीन है। दोनों हरिबक्स के पुत्र हैं। उन्होंने बताया कि राम अवध को साल 2019 में मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत तीनों किश्त इनके खाते में ट्रांसफर हो चुकी हैं और जो दूसरे व्यक्ति गंगादीन का 2020-21 में आवास सूची में उनका नाम था और उनका जो आवास है, वो पास भी हो चुका है और पहली किश्त के लिए डोंगल भी लगा दिया गया है। बहरहाल हो कुछ भी मगर जमीनी हकीकत यही है कि आज भी सैकड़ों की तादात में लोग सरकारी आवास योजनाओं का लाभ लेने के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं।