पंचायत चुनाव: आरक्षण पर बढ़ रही है रार

लखनऊ। प्रदेश में होने जा रहे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के घोषित आरक्षण के फार्मूले को लेकर प्रदेश सरकार और सत्तारूढ़ भाजपा में जद्दोजहद चरम पर पहुंच रही है। सूत्रों के अनुसार पार्टी में आरक्षण फार्मूले को लेकर असंतोष अब सतह पर आ गया है। पार्टी के कई सांसदों, विधायकों और जिलाध्यक्षों ने शीर्ष नेतृत्व से यह शिकायत भी की है कि उनके लोग पंचायत चुनाव लडऩे की तैयारी किये बैठे थे मगर आरक्षण के फार्मूले की वजह से उनके लोग चुनाव लडऩे से वंचित हो गये। सूत्र बताते हैं कि पंचायतीराज विभाग में इस मुद्दे पर पिछले कई दिनों से गंभीर मंथन चल रहा है। सोमवार की शाम को इस बारे में शासन स्तर पर काफी देर तक विचार विमर्श होता रहा। चूंकि हाईकोर्ट ने समयबद्ध ढंग से 15 मई तक पूरी चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न करवाने के आदेश दे रखे हैं और पंचायतों के पदों की सीटों के आरक्षण की अनंतिम सूची भी जारी हो चुकी है जिस पर दावे और आपत्तियां मांगे जाने का समय भी सोमवार 8 मार्च को बीत गया इसलिए अब आरक्षण के फार्मूले में बदलाव की गुंजाईश तो रही नहीं। अब सत्तारूढ़ भाजपा के असंतुष्ट सांसदों, विधायकों और जिला अध्यक्षों को समझाने के लिए तर्क गढ़े जा रहे हैं मसलन इस बार के आरक्षण से एस.सी.और ओबीसी के वंचित लोगों को काफी लाभ हुआ, तकनीकी तौर पर ऐसा साफ्टवेयर बनायाग या जिससे आरक्षण तय करने में कहीं कोई अनियमितता नहीं हुई।