जानिए द्वारका धाम की महिमा

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फीचर डेस्क। गुजरात के पश्चिमी सिरे पर समुन्द्र के किनारे बसा हुआ है द्वारका । आज से हजारों वर्ष पहले भगवान कृष्ण ने इसे बसाया था। कृष्ण मथुरा में उत्पन्न हुए, गोकुल में पले, पर राज उन्होंने द्वारका में ही किया। यहीं बैठकर उन्होंने सारे देश की बागडोर अपने हाथ में संभाली। पांडवों को सहारा दिया। धर्म की जीत कराई और, शिशुपाल और दुर्योधन जैसे अधर्मी राजाओं को मिटाया। द्वारका उस जमाने में राजधानी बन गई थीं। बड़े-बड़े राजा यहां आते थे और बहुत-से मामले में भगवान कृष्ण की सलाह लेते थे।
द्वारका को चार धामों में एक और सात पुरियों में से एक पुरी के रूप में जाना जाता है। सुंदर और मंत्रमुग्ध कर देने वाले यहां के मंदिर इस जगह की खास पहचान हैं। यहां भगवान शिव का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। जन्माष्टमी के अवसर पर श्रद्धालु इस जगह पर आना नहीं भूलते।
विष्णु पुराण के मुताबिक प्राचीन कुशावती के स्थान परभगवान श्रीकृष्ण ने पौराणिक राजधानी द्वारका बसाई थी। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने यादव परिवारों सहित मथुरा से पलायन के बाद इसकी स्थापना की थी। श्रीमद् भागवत गीता में भी द्वारका का वर्णन है। इसमें भी द्वारका को 12 योजन के परिमाण का कहा गया है। और इसे यंत्रों द्वारा सुरक्षित तथा उद्यानों, विस्तीर्ण मागरें एवं ऊंची अट्टालिकाओं से विभूषित बताया गया है। माना जाता है कि इसका मूल निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनभ द्वारा 2500 वर्ष से अधिक समय पूर्व कराया गया था। ये एक भव्य संरचना है जो अरब सागर के जल से उदय होती प्रतीत होती है। इस मंदिर से द्वारका के इतिहास के बारे में पता चलता है। द्वारका आक्रमणकारियों के नजर में भी रहा। आक्रमणकारी न सिर्फ मंदिरों की अतुल धन संपदा को लूट लेते थे बल्कि भव्य मंदिरों व मूर्तियों को भी तोड़ कर नष्ट कर देते थे।
द्वारिकाधीश मंदिर: ये मंदिर कांकरोली में राजसमंद झील के किनारे पाल पर स्थित है। मंदिर सात मंजिला है। भीतर चांदी के सिंहासन पर काले पत्थर की श्रीकृष्ण की चतुर्भुजी मूर्ति है। माना जाता है कि ये मूल मूर्ति नहीं है। मूल मूर्ति डाकोर में है। द्वारिकाधीश मंदिर से लगभग 2 किमी दूर एकांत में रुक्मिणी का मंदिर है। मान्यता है कि दुर्वासा के शाप के कारण उन्हें एकांत में रहना पड़ा। आज द्वारका की पूरे देश में महिमा है। ये चार धामों में एक है। सात पुरियों में एक पुरी है।
हवाई मार्ग: जामनगर (137) सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। यहां से आप दूसरे साधन के जरिए द्वारका पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग-द्वारका स्टेशन अहमदाबाद-ओखा ब्रॉडगेज रेलवे लाइन पर है। यहां से जामनगर (137 किमी), राजकोट (217 किमी) और अहमदाबाद (471 किमी) के लिए रेलगाडिय़ां है। रोजाना यहां के लिए कई ट्रेनें चलाई जाती हैं। वड़ोदरा, सूरत, मुंबई, गोवा, कर्नाटक से लेकर भारत के दक्षिणी छोर केरल से भी द्वारका के लिए रेलगाडिय़ां आती हैं। द्वारका, जामनगर से द्वारका जाने वाले राजमार्ग पर है। यहां के लिए अहमदाबाद और जामनगर से सीधी बसें मिल सकती हैं।