दस साल पुरानी गाडिय़ों पर जारी रहेगा बैन

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नई दिल्ली। ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राजधानी में दस साल से पुरानी डीजल गाडिय़ों पर लगी रोक को समाप्त करने या संशोधित करने से मना कर दिया। ट्रिब्यूनल ने आदेश में कहा कि इस आदेश को लागू करने की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है। सरकार यह निर्धारित करे कि दस साल से पुरानी गाडिय़ों को चालान किया जाए या नहीं। ग्रीन ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय की मुहर लग चुकी है, इसलिए ट्रिब्यूनल सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरूद्ध कोई आदेश नहीं दे सकता है।
केन्द्रीय परिवहन व राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय की ओर से इस विषय को उठाते हुए एडिशनल सालिसिटर जनरल पिंकी आनन्द ने ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष यह तर्क दिया कि दिल्ली व हरियाणा के दस साल से ज्यादा पुराने ट्रकों को फिटनेस सर्टिफिकेट मिलना बन्द हो गया है। इस कारण ट्रक चालकों की यूनियन ने हड़ताल पर जाने की धमकी दी है जिसका असर रोजमर्रा की जिन्दगी पर पड़ेगा। उन्होंने जनहित में पूर्व में दिए आदेश को संशोधित करने की मांग की।
ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आदेश में कहा कि एडिशनल सालिसिटर जनरल ने पूर्व के आदेश में परिवर्तन की मांग की है। उन्होंने यह मांग जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए की है कि राज्य सरकारों को बिना फिटनेस की डीजल गाडिय़ों का चालान करने के लिए जिम्मेदार न ठहराया जाए जबतक के न्द्र सरकार की इस सम्बन्ध में दायर याचिका पर सुनवाई पूरी न हो जाए। ट्रिब्यूनल ने साफ कर दिया कि डीजल गाडिय़ों के विषय में पूर्व आदेश को परिवर्तित नहीं किया जाएगा लेकिन जनता के हितों को देखते हुए यह निर्णय दिल्ली सरकार को लेना है कि वे डीजल गाडिय़ों का चालान करेंगे या नहीं।