धंधा है पर गंदा है ये लाल खून का काला कारोबार

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योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। खून का काला कारोबार करने वाले प्रोफशनल डोनरों का राज आज से नहीं बल्कि बहुत पहले से चला आ रहा है। इनका जाल मेडिकल कॉलेज से लेकर डा.राममनोहर लोहिया अस्पताल,पीजीआई के अलावा कई निजी पैथालॉजी तक फैला हुआ है। खून का गोरखधंधा कराने और करने वाले सौदागरों की जड़े काफी गहरी है। पुलिस ने पिछले दिनों खून का काला कारोबार करने वालों लोगों को पकड़ कर इस गोरखधंधे का फर्दाफाश किया, लेकिन गिरोह के सरगना तक नहीं पहुंच सकी। मेडिकल कॉलेज में कुछ डॉक्टरों व कर्मचारियों की मदद से खून का कारोबार करने वाले कई ब्लड डोनर अपनी दुकान खोलकर अब खुद अपना गिरोह चला रहे हैं।
7 जुलाई 2015- चौक के कंचन मार्केट स्थित कोहली ब्लड बैंक एंड कंपोनेट्स प्राइवेट लिमिटेड में नाबालिगों को डरा-धमका कर उनकी शरीर से खून निकाल कर ऊंचे दामों में बेचने वाले पैथलॉजी के मैनेजर वीके भटनागर,लैब टेक्नीशियन संतराम यादव व विजय गुप्ता को गिर तार किया, लेकिन खून का कारोबार करने वाला पैथालॉजी का मालिक वीके कोहली और इस काले कारोबार में हाथ बंटाने वाली सरगना की पत्नी डा.चित्रा कोहली आज भी पुुलिस की पकड़ से दूर हैं। यह गिरोह चौक स्थित बानवाली गली निवासी एक गरीब परिवार के तीन बच्चों को चंद रूपयों की लालच देकर उनकी शरीर का खून निकाल कर उन्हें पंगु बनाने में जुटे थे। इस क्षेत्र में बहुत पहले से लाल खून का काला कारोबार होता चला आ रहा है और संबधित विभाग से लेकर स्थानीय पुलिस मूकदर्शक बनी रही। सबंधित विभाग और पुलिस प्रशासन की लापरवाही पर गौर करें तो दो फरवरी 2012 को चौक पुलिस ने छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ब्लड बैंक में खून का सौदा करने वाले चार लोगों को पकड़ा था। जबकि एक आरोपी मौके से भाग निकला था। इनमें एक प्रोफेशनल डोनर -पेशेवर रक्तदाता -एक तीमारदार और दो बिचौलिये शामिल थे। अहमद नाम का श स अपने आप को चिविवि में भर्ती रोगी का तीमारदार बताकर रक्तदान करने पहुंचा था। शक होने पर उससे पूछताछ की गई तो वह कुछ नहीं बता सका और ज्यादा सवाल पूछे जाने पर साफ होगया कि वह प्रोफेशनल ब्लड डोनर है। इसके बाद पुलिस ने डोनर के चार साथी मजीद,मुन्ना,सचिन और संदीप को पकड़ा, लेकिन सचिन अपनी मोटरसाइकिल छोड़ कर मौके से भाग निकला था। यही नहीं 27 फरवरी 2012 को लाल खून का काला धंधा करने वाले गिरोह का खुलासा कर चौक पुलिस ज्योतिबा फुले पार्क के पास से कानुपर जिले के घाटमपुर निवासी सतीश, एटा के मदसुआ गढ़ी निवासी बृजेश, नई दिल्ली के मालवीयनगर निवासी अमित, मेराज खां, ग्वालियर के लश्कर निवासी अजय और नेपाल निवासी राजू को गिर तार किया था। पुलिस को इनके पास से अस्पतालों के डॉक्टर व मेडिकल स्टोर के नंबर और छह सिमकार्ड भी बरामद हुए थे। यह गिरोह ने लोगों को एक यूनिट ब्लड देने पर 1000 से 1200 रूपये मिलते थे। फिलहाल खून का गोरखधंधा करने वालों का जाल शहर के सरकारी और निजी अस्पतालों के आसपास तक फैला हुआ है। नतीजन मालूम नहीं कितने लोगों की अब तक जिंदगी दाव पर लग चुकी है।