ईशा फाउंडेशन को अदालत ने जारी किया सम्मन

चेन्नई। कोयंबटूर में स्थित ईशा फाउंडेशन के खिलाफ स्वत: संज्ञान से कार्रवाई शुरू करने के तमिलनाडु बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अधिकार को बरकरार रखते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने फाउंडेशन को नये सिरे से अपने बचाव में दस्तावेज आदि साक्ष्य लेकर आयोग के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति एस. एम. सुब्रमणियम ने फाउंडेशन की ओर से दायर रिट याचिका का निपटारा करते हुए हाल ही में उक्त निर्देश दिए। फाउंडेशन की ओर से कोयंबटूर के वेल्लीआनगिरि में उसके प्रशासक अदालत में पेश हुए थे। इस फाउंडेशन की स्थापना 1992 में सदगुरु जग्गी वासुदेव ने की थी और यह बच्चों के लिए स्कूल चलाने के अलावा अन्य सामाजिक कार्य भी करता है। आयोग ने 2016 में बाल अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए बाल अधिकार संरक्षण कानून, 2005 के तहत फाउंडेशन को पहले भी सम्मन जारी किए थे। इसी कारण अदालत में मौजूदा याचिका दायर की गई थी।