सपा की पिछलग्गू रह चुकी कांग्रेस अब हुई आक्रामक

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योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। प्रदेश में सदन से सड़क तक चौथी पायदान पर खड़ी कांग्रेस अब सत्तारू ढ़ समाजवादी पार्टी के खिलाफ आक्रामक हुई है। पूर्ववर्ती सपा नेतृत्व की तीन सरकारों को समर्थन देकर उसकी पिछलग्गू रही कांग्रेस अब भ्रष्टïाचार सहित अन्य मुद्दों को लेकर कल पहली बार अखिलेश यादव सरका के खिलाफ सड़कों पर उतर रही है। लेकिन उसकी इस लड़ाई में अपने ही रास्ता काटना में लगे है। भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था के मुद्दे को लेकर प्रदेश सरकार को घेरने चली प्रदेश कांग्रेस दिल्ली में बैठे अपने सीनियर लीडर और पूर्व केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की कारगुजारी से काफी आहत है। अपनी इन कारगुजारियों से भले वह लोकसभा में हाशिए पर पहुंच गई हो लेकिन इसके बाद भी उसकी कथनी करनी में कोई अंतर नहीं आया है। कानून व्यवस्था के अलावा यादव सिंह के भ्रष्टïाचार के जिस मुद्दे पर कांग्रेस कल विधानसभा का घेराव करने जा रही है उसी यादव सिंह की सीबीआई जांच रूकवाने के लिए जिस तरह कपिल सिब्बल पिछले दिनों प्रदेश सरकार के वकील बनकर सर्वोच्च न्यायालय में खड़े हुए इसकों लेकर कांग्रेस इन दिनों भीतर बाहर घिरी हुई हुई है। इस मुद्दे पर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डा.निर्मल खत्री ने कहा कि सिब्बल के इस कृत्य से वे अपने को शर्मसार महसूस कर रहे है जबकि विधानमंडल दल के नेता प्रदीप माथुर ने कहा कि इस बावत वह राष्टï्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिख रहे है। माथुर ने बताया कि पत्रकार जगेंद्र सिंह और निलंबित इंजीनियर यादव सिंह के मामले में पूर्व केंद्रीयमंत्री कपिल सिब्बल द्वारा सुप्रीम कोर्ट में वकालतनामा लगाने से कांग्रेस की प्रदेश सरकार के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम को झटका लगा है। समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली अखिलेश यादव की सरकार के खिलाफ कांग्रेस का यह पहला बड़ा आदोलन है जिसमें प्रदेश नेतृत्व के अलावा केन्द्रीय नेता मोहिसना किदवाई,सहित कई बड़े नेता स िमलित हो रहे है। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की पिछली तीनों सरकारों को कांग्रेस समर्थन दे चुकी है। 1989 में जब जनता दल की मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में सरकार बनी। बिहार मेंं लालू यादव द्वारा आडवाणी गिर तारी के बाद केन्द्र से जब वीपी सिंह की सरकार से भाजपा ने समर्थन वापस लिया तो यहां भी भाजपा अलग हो गई। लेकिन उस समय राजीव गांधी के निर्देश पर यहां कांग्रेस ने सा प्रदायिक शक्तियों को रोकने के नाम पर पर समर्थन दिया था। लेकिन यह ज्यादा नहीं चला। जब कांग्रेस समर्थन वापसी का चिट्टïी लेकर राजभवन पहुंची तब तक मुलायम सिंह यादव अपना इस्तीफा राजभवन दे आए थे। उसके बाद 1993 में जब सपा-बसपा गठबंधन की सरकार बनी उस समय भी कांग्रेस सा प्रदायिक शक्तियों को सत्ता से दूर रखने के नाम पर सपा को समर्थन दिया था। भाजपा बसपा गठबंधन सरकार के पतन के बाद जब अगस्त 2003 में मुलायम सिंह यादव ने सबसे बड़े दल होने के नाते सरकार बनाने का दावा पेश किया तो कांग्रेस ने भी उन्हे समर्थन दिया। इस तरह उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस की तीन बार दोस्ती होकर टूट चुकी है। प्रदेश में 2012 में बनी सपा की पहली पूर्णबहुमत की सरकार के खिलाफ कांग्रेस कल पहली बार विरोध प्रदर्शन करने जा रही है। केन्द्र मे यूपीए सरकार को कई बार समर्थन दे चुकी समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश में भाजपा बसपा के बाद अब कांग्रेस से भी दो चार होना पड़ेगा।