रात्रि 2 से 5 बजे के बीच मंदिर में रूकना मना है, अन्यथा मौत पक्की है

maihar mata

फीचर डेस्क। मैहर शारदा माता का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह न सिर्फ आस्था का केंद्र है, अपितु इस मंदिर के विविध आयाम भी हैं। इस मंदिर की चढ़ाई के लिए 1063 सीढिय़ों का सफर तय करना पड़ता है। इस मंदिर में दर्शन के लिए हर वर्ष लाखों की भारी भीड़ जमा होती है। सितम्बर 2009 से एक बड़ी सुविधा रोप-वे प्रणाली के परिचालन के जरिए तीर्थयात्रियों (विशेष रूप से वृद्धों और विकलांगों) की देवी मां शारदा के दर्शनों की इच्छा को पूरा किया गया है। वहां शारदा देवी की पत्थर की मूर्ति के पैर के पास ही स्थित एक प्राचीन शिलालेख है। यह नजारा अद्भुत है। यहां शारदा देवी के साथ भगवान नरसिंह की एक मूर्ति है। इन मूर्तियों को नापुला देवा द्वारा शक 424 चैत्र कृष्ण पक्ष पर 14 मंगलवार, विक्रम संवत 559 अर्थात 502 ई. में स्थापित किया गया था। मंदिर में एक और पत्थर का शिलालेख एक शैव संत शम्भा जिन्हें बौद्ध धर्म और जैन धर्म का भी ज्ञान था को खुदवाया गया था। स्थानीय परंपरा के अनुसार से आज तक लोग माता के दर्शन के साथ- साथ दो महान योद्धाओं आल्हा और ऊदल, जिन्होंने पृथ्वी राज चौहान के साथ भी युद्ध किया था का भी दर्शन अवश्य करते हैं।वस्तुत: उनसे जुड़ा वास्तु यहां मौजूद है। दोनों भाई शारदा देवी के बहुत मजबूत अनुयायी थे। कहा जाता है कि आल्हा को 12 साल के लिए शारदा देवी के आशीर्वाद से अमरत्व मिला था। आल्हा और ऊदल माता के सबसे बड़े भक्त थे। श्रद्धालु दूरदराज से यहां माता रानी का दर्शन करने आते हैं। यहां नवरात्र में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। आल्हा माता रानी को शारदा माई तथा देवी मां कह कर बुलाते थे और अब इसी नाम के रूप में माता मां शारदा लोकप्रिय हो गई हैं। जब आप मंदिर परिसर में दाखिल होते हैं तब मंदिर के नीचे आप आल्हा तालाब नामक तालाब तथा उसके पीछे पहाड़ी देख सकते हैं। यह दृश्य वास्तव में बहुत सुन्दर है।

maihar devi 2

मैहर माता का मंदिर सिर्फ रात्रि 2 से 5 बजे के बीच बंद किया जाता है, इसके पीछे एक बड़ा रहस्य छुपा है। वस्तुत: ऐसी मान्यता है कि आल्हा और ऊदल माता के सबसे बड़े भक्त आज तक इतने वर्षों के बाद भी माता के पास आते हैं। रात्रि 2 से 5 बजे के बीच आल्हा और ऊदल आज भी रोज मंदिर आकर माता रानी का सबसे पहले दर्शन करते हैं। यही नहीं आल्हा और ऊदल माता रानी का सिर्फ दर्शन ही नहीं करते अपितु पूरा श्रृंगार करते हैं तथा सबसे पहले दर्शन तथा श्रृंगार का अवसर माता रानी सिर्फ उन्हें ही देती हैं। आज के युग में बहुत बार विज्ञान धर्म पर सवाल उठाता है पर चाहे वो मैहर शारदा मां का मंदिर हो या फिर मथुरा का निधि वन, धर्म के आगे विज्ञान घुटने टेक देता है। 2 से 5 बजे के दौरान कोई भी मंदिर में नहीं रुक सकता अन्यथा मौत पक्की है। वस्तुत: माता रानी सबकी मनोकामना पूर्ण करती हैं इसीलिए यहां श्रद्धालुओं का तांता हर वक्त लगा रहता है।