पंचायत चुनाव में जहर बोयेगी जहरीली शराब

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योगेश श्रीवास्तव

लखनऊ। प्रदेश में जहरीली शराब और उससे हो रही मौंतो की रोकथाम को लेकर सरकार द्वारा किए जा रहे उपाय एक फिर बेमानी साबित हुए। बीती शाम राजधानी लखनऊ से सटे उन्नाव जनपद में पांच लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई। सीएम अखिलेश यादव ने फ ौरीतौर पर कार्रवाई करते हुए एसपी को हटाने के साथ आबकारी अधिकारी और कोतवाल सहित आधादर्जन लोगों को संस्पेंड कर दिया। वर्ष 2015 में जहरीली शराब से हुई मौत पर यह दूसरी बड़ी घटना है। इसी साल लखनऊ के मलिहाबाद में जहरीली शराब से पचास लोगों की मौत हो गई थी। उन्नाव जिले के निबहरा मजरा करोवन गांव में रविवार को जहरीली शराब पीने से हुई पांच लोगों की मौतों से इस बात की संभावना बन गई है कि आने वाले पंचायत चुनाव में इस तरह की घटनाओं से लोगों को दोचार होना पड़ेगा। और वोटों के प्रलोभन में लोग को अपनी जान से हांथ धोने पड़ेगा इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। क्यो कि इससे पहले भी ग्राम पंचायत चुनाव के दौरान एक अक्टूबर वर्ष 2010 में देवरिया जिले के गौरीबाजार थाना क्षेत्र स्थित रतनपुर गांव में प्रधानी पद के प्रत्याशी राम निहोर सिंह के घर दी गई दावत में जहरीली शराब पीने से पांच लोगों की जानें गई थी। 28 सितंबर 2010 को राजधानी के मोहनलालगंज स्थित सिसेंडी क्षेत्र स्थित गोविन्दपुर में जहरीली शराब पीने से तीन लोग मौत की नींद सो गये थे। यह तो दूर 6 अक्टूबर 2010 को पंचायत चुनाव के दौरान उन्नाव जिले के माखी थाना क्षेत्र स्थित नया खेड़ा मजरा परेंदा गांव में प्रधान पद के प्रत्याश्ी ने जहरीली शराब बंटवाय, जिसे पीने से एक श स की मौत हो गई थी कि इसी दिन हरदोई जिले के टडिय़ावां थाना क्षेत्र के संडिला गांव निवासी एक युवक की जहरीली शराब पीने से मौत हुई। यही नहीं 12 जनवरी 2015 को मलिहाबाद व उन्नाव में जहरीली शराब पीने से सिलसिलेवार लोगों की मौतें हुईं। इस घटना के बाद प्रशासन जागा, लेकिन दर्जनों घरों में मातम होने के बाद। शराब या जहरीली शराब से मौत की घटनाएं प्राय: होती रही है लेकिन पंचायत चुनावों में इसकी संभवनाएं ज्यादा बढ़ जाती है। ग्रामीण मतदाताओं को लुभाने के लिए उ मीदवारों के लिए यह सबसे सस्ता और सुलभ साधन होता है। चुनाव आयोग की स ती के बाद भीन तो उ मीदवारों का शराब परोसना रूक पाता है न हीं इससे जुड़े कारोबारियों पर ही कोई अंकुश लग पाता है। उत्तर प्रदेश मेें अक्तूबर से दिसंबर के बीच पंचायत चुनाव होने है। निर्वाचन आयोग द्वारा अगले महीने के दूसरे ह ते में चुनाव की घोषणा की जानी है। एक ओर जहां चुनाव के लिए उ मीदवार तैयारियों में लगे है वहीं दूसरी ओर शराब के कारोबारी भी अभी से सक्रिय होने लगे है। सरकार के कानून व्यवस्था के चुस्त दुरूस्त रखने के दावें को धता बताते हुए अपनी व्यवस्था बनाने में लगे है। अवैध असलहों और अवैध शराब व्यवसायियों के लिए पंचायत चुनाव किसी सहालग से कम नहीं होते।