विधि आयोग नहीं चाहता सजा-ए-मौत

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नई दिल्ली। विधि आयोग ने बहुमत से आतंकवाद से जुड़े मामलों को छोड़कर अन्य मामलों में तेजी से मौत की सजा को खत्म करने की सिफारिश की। आयोग ने इस तथ्य पर गौर किया कि यह आजीवन कारावास से अधिक प्रतिरोधकता के दंडात्मक लक्ष्य की पूर्ति नहीं करता है। नौ सदस्यीय विधि आयोग की सिफारिश हालांकि सर्वसम्मत नहीं है। एक पूर्णकालिक सदस्य और दो सरकारी प्रतिनिधियों ने इससे असहमति जताई और मौत की सजा को बरकरार रखने का समर्थन किया। अपनी अंतिम रिपोर्ट में 20 वें विधि आयोग ने कहा कि इस बात पर चर्चा करने की आवश्यकता है कि कैसे बेहद निकट भविष्य में यथाशीघ्र सभी क्षेत्रों में मौत की सजा को खत्म किया जाए। विधि आयोग की सिफारिश, खत्म हो मौत की सजा विधि आयोग ने बहुमत से आतंकवाद से जुड़े मामलों को छोड़कर अन्य मामलों में तेजी से मौत की सजा को खत्म करने की सिफारिश की।
विधि आयोग ने मौत की सजा को समाप्त करने के लिए किसी एक मॉडल की सिफारिश करने से इंकार किया। उसने कहा कि कई विकल्प हैं, रोक से लेकर पूरी तरह समाप्त करने वाले विधेयक तक। विधि आयोग मौत की सजा को समाप्त करने में किसी खास नजरिए के प्रति प्रतिबद्धता दिखाने की इच्छा नहीं रखता है। उसका सिर्फ इतना कहना है कि इसे खत्म करने का तरीका तेजी से और अपरिवर्तनीय और पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य हासिल करने के बुनियादी मूल्य के अनुरूप होना चाहिए।