मोदी राज में थम गयी विकास की रफ्तार

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बिजनेस डेस्क। कृषि, सेवा तथा विनिर्माण क्षेत्रों की वृद्धि दर में नरमी के चलते जीडीपी की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 7.0 फीसद रही जो इससे पूर्व की तिमाही में 7.5 फीसद थी।
जीडीपी में धीमी वृद्धि दर में धीमेपन और औद्योगिकी उत्पादन में नरमी को देखते हुए रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में कटौती की संभावना बढ़ी है। आर्थिक गतिविधियों को मापने के लिए सीएसओ द्वारा अपनाए जा रहे सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) पर आधारित नए मानदंड के आधार पर भी पहली तिमाही में जीवीए घटकर 7.1 फीसद पर आ गई जो एक वर्ष पूर्व इसी तिमाही में 7.4 फीसद था। जनवरी-मार्च 2015 में जीडीपी वृद्धि दर 7.5 फीसद जबकि अप्रैल-जून, 2014 में यह 6.7 फीसद थी. मुद्रास्फीति में तीव्र गिरावट के चलते चालू बाजार मूल्य पर नामिनल जीडीपी (सांकेतिक जीडीपी) तथा जीवीए में आलोच्य तिमाही के दौरान तीव्र गिरावट दर्ज की गई है। जहां सांकेतिक जीडीपी पहली तिमाही में 8.8 फीसद रही जो एक वर्ष पूर्व इसी तिमाही में 13.4 फीसद थी। इसी तरह जीवीए वृद्धि दर इस बार करीब 7.1 फीसद रही जो एक वर्ष पूर्व इसी तिमाही में 14 फीसद थी. सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2015-16 की शुरुआत में वृद्धि दर 8.1 से 8.5 फीसद रहने का अनुमान जताया है जिसे हासिल करना मुश्किल हो सकता है।
रिजर्व बैंक ने जनवरी से अब तक नीतिगत ब्याज दर में 0.75 फीसद की कटौती की है और वह अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा 29 सितम्बर को करने वाला है। कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों की वृद्धि दर 2015-16 की पहली तिमाही में 1.9 फीसद रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 2.6 फीसद थी। खान एवं खनन क्षेत्र में उत्पादन वृद्धि दर भी आलोच्य तिमाही में मामूली रूप से घटकर चार फीसद पर आ गई हो एक वर्ष पूर्व इसी तिमाही में 4.3 फीसद थी. वित्तीय, रीयल एस्टेट तथा पेशेवर सेवाओं की वृद्धि दर आलोच्य तिमाही में घटकर 8.9 फीसद रही जो एक वर्ष पूर्व इसी तिमाही में 9.3 फीसद थी।