भयावह: यूपी के 21 जिलों में डेंगू पसारे पांव

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संवाददाता,
लखनऊ। यूपी के 21 जिलों में डेंगू फैल चुका है किन्तु स्वास्थ्य विभाग आंकड़े छुपा रहा है जिससे सही स्थिति सामने नहीं आ रही है। इनमें कानपुर, गाजियाबाद और लखनऊ सर्वाधिक प्रभावित हैं। अधिकारियों का कहना है कि निजी पैथोलॉजी और नर्सिंग होम संचालकों द्वारा सही जानकारियां न दिए जाने से दिक्कत आ रही है। राज्य में बीते पंद्रह दिनों से डेंगू तेजी से बढ़ा है। दस मंडलों के 21 जिलों में डेंगू काफी तेजी के साथ फैला है।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक डेंगू लखनऊ, फैजाबाद, चित्रकूट, आजमगढ़, बस्ती, बरेली, देवीपाटन, मेरठ, कानपुर व इलाहाबाद मंडलों तक पांव पसार चुका है। इनमें सर्वाधिक प्रकोप कानपुर, गाजियाबाद और लखनऊ जिलों में देखा गया है। स्वास्थ्य महकमे के स्पष्ट निर्देशों व मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपे जाने के बावजूद जो आंकड़े आ रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि सच्चाई छुपाई जा रही है। 31 अगस्त तक की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में डेंगू से सिर्फ दो लोगों की मौत हुई है। ये मरीज लखनऊ और कानपुर के हैं। मेरठ, बुलंदशहर, नोएडा जैसे जिलों से डेंगू के तमाम मामले सामने आते रहे हैं किन्तु वहां से सिर्फ डेंगू का एक-एक मरीज मिलने की बात स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में कही गयी है। आंकड़े पूरे राज्य में सिर्फ 123 लोगों को डेंगू होने की बात कह रहे हैं। इनमें सर्वाधिक 43 मामले कानपुर, 35 गाजियाबाद व 13 लखनऊ के हैं। इलाहाबाद के छह और उन्नाव व सीतापुर में चार-चार लोगों को डेंगू होने की पुष्टि हुई है। अधिकारी भी इन आंकड़ों को सही नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि डेंगू के मामले गंभीर होने पर लोग नर्सिंग होम चले जाते हैं। इसी तरह जांचें भी निजी पैथोलॉजी में कराई जाती हैं। इन दोनों के संचालक सही जानकारी नहीं दे रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के पास पहुंचे आंकड़े मूल रूप से मेडिकल कालेज व जिला अस्पताल तक पहुंचे मरीजों के ही हैं। प्रभावित जिलेलखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, हरदोई, सीतापुर, सुलतानपुर, बाराबंकी, अम्बेडकरनगर, बांदा, बलिया, सिद्धार्थ नगर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बहराइच, गौतमबुद्ध नगर, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, कानपुर नगर, इलाहाबाद, फतेहपुर सर्वाधिक प्रभावित बताए गए हैं।
दंडित होंगे अधिकारी स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. विजय लक्ष्मी का कहना है कि डेंगू सहित संक्रामक रोगों के लिए हर जिले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से कहा गया है कि वे सरकारी ही नहीं, निजी क्षेत्र से भी आंकड़े लेकर सही तथ्य भेजने को कहा गया है। नर्सिंग होम और निजी पैथोलॉजी लैब द्वारा जानकारी न दिए जाने का तथ्य भी प्रकाश में आ रहा है। मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को इस बावत सख्त निर्देश दिए गए हैं। लापरवाही होने पर नर्सिंग होम और पैथोलॉजी लैब संचालकों के खिलाफ तो कार्यवाही होगी ही, सीएमओ भी दंडित किए जाएंगे।