प्रेसीडेंट मुखर्जी ने बच्चों से साझा कीं पुरानी यादें

pranav
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी शिक्षक दिवस से एक दिन पहले सर्वोदय विद्यालय के बच्चों से कहा कि आप हिचकिचाइये मत आप मुझसे जो जानना चाहे जान सकते हैं। प्रणब मुखर्जी राजनीति में अपने अनुभवों का भी जिक्र कर रहे हैं और अपने जीवन में बिताने उन लम्हों को भी याद कर रहे है। प्रणब ने कहा बताया कि हमारे जिले में सिर्फ 14 स्कूल थे. मेरा स्कूल घर से पांच किलोमीटर की दूरी पर था। अपने बचपन को याद करते हुए राष्ट्रपति ने बताया , मैं शरारती बच्चा था मां को परेशान करता था। मेरे स्कूल में आपकी तरह शानदार मेज और बैठने की जगह नहीं थी। हमें चटाई मे बैठकर पढऩा होता था। बरसात के दिनों में मैं तोलिया बांधकर स्कूल जाता था। शुरू के तीन चार साल तो मैं स्कूल ही नहीं गया। राष्ट्रपति ने कहा मैं औसत छात्र था। राष्ट्रपति ने कहा कि जब हमने आजादी 1974 में हासिल कर ली तो हम तीन साल क्यों रूके संविधान बनाने के लिए यह सवाल आपके मन में उठता होगा।
इसे लेकर बहुत काम किया गया। इसी कड़ी मेहनत का नतीजा है कि संविधान की शुरूआत प्रस्तावना से होती है। संविधान हमें बराबरी का हक देता है। राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि क्यों आम चुनाव कराने में वक्त लगा। उन्होंने बताया कि सर एंटनी और जवाहर लाल नेहरू अच्छे मित्र थे। एंटनी सोचते थे कि भारत में लोकतंत्र नहीं चेलेगा लेकिन बाद में उन्हें अपनी सोच को बदलना पड़ा। भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका व्रर्मा सब साथ- साथ आजादा हुआ। लाहौर में 1930 को जवाहर लाल नेहरू ने पूर्ण स्वराज की बात रखी। मैं इतिहास की चर्चा कर रहा हूं जिसे मैंने देखा और अनुभव किया है। हमें कई चीजों मे अभी और विकास करना है बिजली पर आत्मनिर्भर बनना है।