मोदी की पाठशाला: जीवन में मां और शिक्षक का अहम योगदान

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नई दिल्ली। टीचर्स डे से एक दिन पहले पीएम नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में बच्चों की पाठशाला लगायी और उनके सवालों के जवाब दिये। मॉनेकशा सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम में बच्चों ने मोदी से अलग-अलग तरीके के सवाल पूछे और उन्होंने बड़ी सहजता से उसके जवाब देकर संतुष्ट किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में बच्चों से खास बातचीत में कहा कि शिक्षक की पहचान विद्यार्थी होते हैं। विद्यार्थी अपने शिक्षकों का नाम रोशन करता है। हर व्यक्ति के जीवन को बनाने में मां और शिक्षक का अहम योगदान होता है। मां जन्म देती है, गुरु जीवन देता है। टीचर द्वारा कही गई बातें हमारे जीवन का हिस्सा बन जाती हैं। विद्यार्थी के जीवन में शिक्षक और शिक्षक के जीवन में विद्यार्थी का काफी महत्व होता है। पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षक कभी उम्र से बंधा नहीं होता, वह कभी रिटायर नहीं होता है। डॉ राधाकृष्णन ने अपने भीतर के शिक्षक को अमर बनाए रखा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि डॉ. अब्दुल कलाम को हम सभी ने देखा, वह बच्चों को बहुत प्यार करते थे। उनसे जब पूछा गया कि आपको लोग कैसे याद रखें, तो उन्होंने कहा था कि लोग मुझे टीचर के तौर पर याद रखें। ये उनके केवल शब्द नहीं थे। राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद वे बच्चों को पढ़ाने लगे। जीवन के अंतिम काल में भी उन्होंने विद्यार्थियों के साथ बातचीत की। वे जीवन में कभी भी विद्या के मार्ग से अलग नहीं हो पाए। विद्यार्थी और शिक्षक के जीवन में अपनत्व का भाव हमें जीवन जीने की कला भी सिखाती है।
पीएम मोदी ने कहा कि विद्यार्थी और शिक्षक के जीवन में अपनत्व का भाव हमें जीवन जीने की कला भी सिखाती है। लेखक मित्र अपने शिक्षक के बारे में जरूर लिखें। सिर्फ बड़े-बड़े लोग अच्छे शिक्षक नहीं होते। टीचर भी एक-एक बालक के जीवन को संवारता है। शिक्षा अन्य व्यवसायों जैसा नहीं, बल्कि उससे भी प्लस वन है। आज का समय उन तपस्याओं को स्मरण करने का समय है कि अच्छे डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट को बनाने में शिक्षकों का हाथ है। टीचर एक कुम्हार की तरह हमारे जीवन को संवारता है। हमारी कोशिश है कि टीचर्स डे जैसे प्रेरक पर्व को हमारी व्यवस्थाओं में प्राण कैसे लाए जाएं। इसके लिए हम कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, हमारे देश में कॉलेज स्टूडेंट के लिए यूथ फेस्टिवल होता है, लेकिन अब वक्त बदल चुका है। छोटे बालकों में मौजूद टैलेंट को आगे लाना है। हमें रोबोट बनने से बचना है। कला साधना से आती है। कला के साथ सहजता से आती है। कला उत्सव के माध्यम से स्कूल के बालकों की प्रतिभा को निखार मिलेगा। बच्चों ने मोदी उनके ड्रेस सेंस के बारे में सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि उनका कोई फैशन डिजायनर नहीं है। उन्हें बचपन से साफ सुथरे कपड़े पहने की आदत थी।
इस मौके पर मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि किसी ने कहा था कि सपने पूरे तब होते हैं, जब संकल्प हो, विश्वास हो, शुरुआत हो। आज से एक साल पहले इस मंच पर अनोखी और छोटी सी शुरुआत हुई। पीएम ने संकल्प लिया कि देश के सभी सरकारी स्कूलों में हमारी बेटियों के लिए अलग से टॉयलेट बनें। आज एचआरडी मंत्रालय की तरफ से कहते हुए गर्व हो रहा है कि पीएम के संकल्प को पूरा किया गया। सभी विद्याथियों से कहती हूं कि सपने देखिए, संकल्प लीजिए और शुरुआत कीजिए।