प्राचीन मुद्राओं का घपला कर रहा है राज्य संग्रहालय

old coin

सुशील सिंह

लखनऊ। उप्र राज्य संग्रहालय में विश्व प्रसिद्ध प्राचीन मुद्राओं के संग्रह में घपला कर करोड़ों रुपये का वारा न्यारा किये जाने का खेल जारी है। जानकारी के अनुसार राज्य संग्रहालय में संग्रहीत सोने, चांदी, तांबे एवं अन्य धातुओं के लगभग तीन लाख से भी अधिक सिक्के संग्रहित है। सन 1998 से समय समय पर यहां के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से इस संग्रह में उच्च स्तरीय गड़बडिय़ां होती रही है।
राज्य संग्रहालय में सालों से प्राचीन ऐतिहासिक मुद्राओं के साथ खेल कर करोड़ों रुपये की हुई हेरा फेरी में कई तथ्य सामने आये है जैसे रिकार्ड के साथ अंकित मूल मुद्राओं का गायब होना, प्राप्त मुद्राओं के साथ घिसे हुए धातु के टुकड़ों मिलाया जाना, नेपाली सिक्कों के स्थान पर अन्य सिक्कों का प्राप्त होना, मूल रिकार्ड में सिक्कों की संख्या को ओवर राइटिंग कर उसके आंकड़ों को बदला जाना जैसे मामले प्रकाश में आया है। सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार राज्य संग्रहालय में सोने व अन्य धातुओं के प्राचीन मुद्राओं का का प्रभार वहां के निदेशक एवं मुद्रा शास्त्र अधिकारी के अधीन होना चाहिए लेकिन ऐसा न कर इन मुद्राओं के संग्रह का चार्ज निदेशक एवं तृतीय श्रेणी के दो कर्मचारी को दिया गया है जो कि नियमों के विरूद्ध है। जानकारों की माने तो राज्य संग्रहालय के मौजूदा निदेशक डा. अजय पाण्डेय की भी इस घपले घोटाले में गहरी पैठा है और उनके इशारे पर विभागीय कर्मचारी सिक्कों वारा न्यारा कर रहें है।
सूत्रों की माने अजय कुमार पाण्डेय उपनिदेशक झांसी संग्रहालय द्वारा राज्य संग्रहालय लखनऊ में अपने पिछले काम चलाऊ कार्यकाल के दौरान फर्जी मोहर बनवाकर कोषागार से लाखों रुपये निकालना एवं दो 2-2 महीने की बिना किसी उच्चधिकारी की अनुमति के फर्जी विदेश यात्राएं करना एवं उनके यात्रा बिल के स्वयं ही लाखों रुपये भुगतान किये जाने जैसे आरोप पुष्टï पाये गये थे जिस पर तत्कालीन सचिव संस्कृति संजीव सरन द्वारा 2 मई 2013 को इनको आरोप पत्र दिया गया था, परन्तु अजय पाण्डेय ने इसका जवाब देना उचित नहीं समझा। इस बारे में जब उनसे बात की गयी तो उन्होंने कहा कि चार्ज लेने की प्रक्रिया जारी है। 1 लाख पचास हजार मुद्राओं की गिनती की जारी है और जल्द ही इसका पटाक्षेप हो जायेगा। उन्होंने घपले पर कहा कि इसकी जांच जारी है।