मोदी पर माया का हमला: सरकार का रिमोट आरएसएस के पास

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लखनऊ। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उनके समस्त वरिष्ठ मंत्रियों द्वारा आरएसएस के दरबार में पेश होकर उसके आगे दण्डवत होने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि एक चुनी हुई सरकार को केवल संविधान व उसकी मर्यादा एवं जनभावना के आगे ही नतमस्तक होना शोभा देता है ना कि द्वेष, घृणा, साम्प्रदायिकता व फासिस्टवादी मानसिकता रखने वाले जनता के प्रति एक गैर-जवाबदेह व गैर-उत्तरदायी संगठन आरएसएस के सामने।
मायावती ने कहा कि इस बैठक के सम्बन्ध में अधिकारिक तौर पर जो बातें कही गयी हैं उससे भी यह स्पष्ट हो जाता है कि नरेन्द्र मोदी सरकार व आरएसएस को देश की चिन्ताओं व ज्वलन्त समस्याओं खासकर गरीबी व महंगाई कम करने, बेरोजगारी समाप्त करने व भ्रष्टाचार उन्मूलन आदि के साथ-साथ करोड़ों शोषितों, दलितों, पिछड़ों आदि के हित की कोई परवाह नहीं है।
बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा कि नरेन्द्र मोदी की सरकार एक तरफ संविधान में कही गयी बातें और उसकी मंशा के विपरीत काम करके देश के उपेक्षितों, शोषितों, दलितों, पिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग के करोड़ों लोगों के हित व कल्याण की घोर अनदेखी कर रही है।
और अब तो यह पूरी तरह से जग-जाहिर है कि इस सरकार की नकेल आरएसएस के नेताओं के हाथों में ही है व इसका रिमोट-कन्ट्रोल आरएसएस के मुख्यालय नागपुर में है, जबकि आरएसएस अपने आपको राजनीति से अलग एक सामाजिक संगठन होने का दावा करती है। उन्होंने कहा कि करीब साढ़े 24 लाख पूर्व सैनिकों व 6 लाख शहीद सैनिकों की विधवाओं को सम्मानजनक व संतोषजनक वन रैंक वन पेंशन दिये जाने की माँग को लेकर क्रमिक भूख हड़ताल का आन्दोलन करने वाले पूर्व सैनिकों की काफी समय से लम्बित मांग को आधे-अधूरे मन से मानने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये मायावती ने कहा कि कई प्रमुख मांगों के नहीं माने जाने के कारण पूर्व सैनिकों में नाराजग़ी व असंतोष स्वाभाविक है।
मायावती ने कहा कि इसके अलावा, बोधगया को अध्यात्म की राजधानी बनाने की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वास्तव में अभी भी कहने से चूकना नहीं चाहते, जबकि करनी नदारद है। हकीकत में बोधगया तो अध्यात्म का केन्द्र बिन्दु हजारों वर्षों से हैं, परन्तु असल जरुरत तो उस क्षेत्र के अन्तर्राष्ट्रीय महत्व व विश्व पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की व वहां आने वाले श्रद्धालुओं को उचित सुविधा प्रदान करने की है, जिसके प्रति वर्तमान केन्द्र सरकार भी काफी ज्यादा उदासीन नजर आती है।