राम लला के दर्शनार्थियों को सुविधाएं देने के खिलाफ है यूपी सरकार

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लखनऊ। यूपी सरकार अयोध्या के अस्थायी राम लला मंदिर के दर्शनार्थियों को जरूरी सुविधाएं देने के खिलाफ है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रह्मण्यम स्वामी की सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर रामलला विराजमान के दर्शनार्थियों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के मामले की 11 सितंबर को सुनवाई होनी है। प्रदेश सरकार ने अपनी आपत्तियों का शपथ पत्र दाखिल कर दिया है।
स्वामी की याचिका में मांग की गयी है कि रामलला गर्भ गृह और दर्शनार्थियों के आने-जाने का रास्ते की दूरी घटाई जाये। दर्शनार्थियों के लिए तमाम बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था की जाये। राज्य सरकार इस मामले में सुरक्षा एजेंसियों की आड़ ले रही है। जिसमें कहा गया हैँ कि मंदिर के गर्भ गृह व दर्शनार्थियों के आने जाने के मार्ग में दूरी से सुरक्षा व्यवस्था में संतुलन बना रहता है। अगर दूरी कम हुई तो दर्शनार्थियों की आड़ में आतंकी तत्व इसका लाभ उठा सकते हैं। राम लला मंदिर के गर्भगृह से दर्शनार्थियों के बीच की दूरी 15 फीट है। सरकार की दलील है सुरक्षा और सुविधा के लिहाज से यह दूरी कम करना संभव नहीं है। इसके साथ लोहे के पाइपों से बने 1100 मीटर के पथ का उपयोग भीड़ बढऩे पर ही किया जाता है। सामान्य रूप से 400 मीटर की परिधि में ही दर्शनार्थियों की आवा जाही रहती है। एजेंसियों का दावा है कि अयोध्या में बाबरी ढांचा ध्वंस के बाद छोटे-बड़े कुल 27 हमले और हमलों की साजिश की जा चुकी है। सबसे बड़ा हमला जुलाई 2005 में हुआ था। जिसमें पांच आतंकवादी मारे गए थे। इसके साथ ही दर्शनार्थियों को बुनियादी सुविधाएं न देने पर भी सरकार अड़ी है। मंदिरों में शौचालय वर्जित होते हैं। राज्य सरकार इन्हीं जनभावनाओं की दुहाई देकर परिसर में शौचालय निर्माण न होने देने की दलील दे रही है। सुरक्षा एजेंसियों का तर्क है कि चूंकि शौचालय तक सीसीटीवी और खुफिया कैमरे नहीं लगाये जा सकते इसलिए इसका लाभ आतंकी उठा सकते हैं। प्रदेश सरकार में बेहद बचकाने तरीके के भी तर्क दिये गए है। सुरक्षा एजेंसियों के हवाले से कहा गया है कि भीड़ में कोई भी खुराफाती तत्व बड़ी साजिश कर सकता है। प्रदेश के अतिसंवेदनशील स्थलों अयोध्या मथुरा काशी के लिए हाई लेवल कमेटी बनी हुई है,जो नियमित रूप से समीक्षा करती है। गौरतलब है कि देश विदेश से अयोध्या में हर वर्ष डेढ़ करोड़ से ज्यादा पर्यटक आते हैं जिसमें 45 हजार के करीब विदेशी होते हैं। जानकारों का कहना है कि प्रदेश सरकार राजनीतिक कारणों से स्वामी की याचिका का विरोध कर रही है।