सीएम इन्वेस्टर मीट में राज्य की ग्रोथ रेट बताते तो अच्छा था: भाजपा

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लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने कहा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मुम्बई में इन्वेस्टर मीट में 2 करोड़ अण्डे खाये जाते है बोलने के बजाय बेहतर होता वे बताते कि राज्य का डीडीपी ग्रोथ क्या है, राज्य की ऐग्रीकलचर ग्रोथ रेट क्या है, कितने वस्तुओं पर वैट कम किया, राज्य में कितना इन्वेस्टमेंट आया। भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा ऐसा लग रहा था मुख्यमंत्री वीकीपिडिया से पढ़कर ये बता रहे है कि उ.प्र. देश की आबादी का सबसे बड़ा राज्य है, सबसे बड़ा बाजार है, सबसे अधिक गेहूं पैदा होता है, सबसे अधिक बैंक शाखाये है, सबसे अधिक एकाउन्ट खुले। उन्होंने कहा कि बेहतर होता वे बताते कि आखिर उनकी सारी पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) स्कीमें एक-एक करके क्यों फेल हो जा रही है। क्यों स्कीमें आधी-अधूरी रहते ही दम तोडऩे लगती है।
पार्टी मुख्यालय पर बृहस्पतिवार को अखिलेश सरकार द्वारा मुम्बई में आयोजित इन्वेस्टर मीट पर सवाल खड़े करते हुए पाठक ने कहा कि इसके पहले बसपा शासनकाल के दौरान भी मुख्यमंत्री ने इसी तरह मुम्बई में निवेश के लिए उद्योगपतियों को आकर्षित करने के लिए आयोजन किया। नतीजा सबके सामने है। ये आयोजन महज सियासी शोसेबाजी ही नजर आये, अखिलेश सरकार निवेश के लिए बड़े-बड़े दांवे तो करती है पर राज्य में निवेश कितना आया, यह बता नहीं पा रही हैं। जून 2014 में दिल्ली में आयोजित बिजनेश समिट की भी सरकार ने जोरदार तरीके से प्रचार-प्रसार किया। 54 हजार करोड़ रूपये का बहुप्रचारित निवेश के दांवे किये गये, वे धरातल पर नजर नहीं आये। आगरा समिट में जो दांवे किये गये थे उनमें क्या हुआ पता नहीं।
उन्होंने कहा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते है खबरों पर भरोसा न करें, उद्योगपति उप्र जाकर देखे, किन्तु जब उद्योगपति यूपी आयेंगे तो उनकी सुरक्षा का क्या होगा किसी राज्य में निवेशक की पहली आवश्यकता उसकी और उसके पूंजी की सुरक्षा है बेहतर होता मुख्यमंत्री अपने भाषणों में बताते कि अपहरण उद्योग का रूप लेते प्रदेश में इस कारोबार में जुड़े लोगों पर कितनी कठोर कार्यवाही हुई। राज्य की गिरती कानून व्यवस्था का प्रश्न उद्योगपतियों के सामने जो खड़ा है उसमें कैसे बेहतरी हुई। पर मुख्यमंत्री कहते है कि उप्र सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है और इस नाते सबसे बड़ा बाजार है। श्री पाठक ने कहा निवेश उप्र में बढ़े इसके लिए ईमानदारी से प्रयास होना चाहिए। और ये प्रयास तभी फलीभूत होगा जब मुख्यमंत्री ये बताते कि अब-तक राज्य में कितने नये उद्योग लगे। जो उद्योग उप्र में किन्ही कारणों से बंद होने के कगार पर पहुंच गये थे उन्हें बंद होने से बचाने के लिए सरकार ने कितने प्रयास किये।