राजनीतिक अछूत हो गये हैं राहुल गांधी

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नई दिल्ली। राजनीति में बहुत कम ऐसे मुकाम आते हैं जब किसी को राजनीतिक पार्टियां अछूत समझ कर उनसे दूर भागने लगें। भले ही साथ-साथ चुनाव लड़ रहे हों मगर उसका मंच कोई साझा न करे। कुछ ऐसा ही हाल हो गया है कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी। राहुल को बिहार चुनाव में उनके ही साथी बाराती अछूत समझने लगे हैं इसलिए उनके साथ चुनावी रैली में कोई भी खड़ा नहीं होना चाहता। बिहार में महागठबंधन में शामिल लालू यादव भी रैली में नहीं जायेंगे। माना जा रहा है कि शायद वह अपने बेटे तेजस्वी को राहुल की रैली में अपने प्रतिनिधि के रूप में भेजें। यही जद यू का है। पहले नीतीश कुमार ने रैली में शामिल होने की बात कही थी मगर अब उन्होंने भी किनारा कर लिया। नीतीश कुमार भी अब नहीं जाकर अपने खास केसी त्यागी को रैली में मंच पर खड़े होने के लिए तैयार कर लिया है। राजनीतिक दलों और उनके नेताओं द्वारा बिहार चुनाव में जिस प्रकार से राहुल को किनारे कर दिया गया है उससे खुद पार्टी का वजूद भी खतरे में नजर आ रहा है। जबकि लालू और नीतीश की रैली में खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंच साझा किया था और वहां मौजूद लोगों ने भी वादा किया था कि वह राहुल की रैली में मौजूद रहेंगे। मगरी अब जब रैली होने वाली है तो पार्टियों के नेता पतली गली ढूंढ रहे हैं। इन नेताओं को लगता है कि कहीं न कहीं राहुल के साथ मंच साझा करने से उनकी हवा बदल सकती है और पार्टी को नुकसान हो सकता है। वैसे भी राहुल गांधी की भारतीय राजनीति में भागेदारी केवल इतनी है कि वह गांधी नेहरू परिवार के वारिस हैं। देखा जाये तो राहुल खुद इसके जिम्मेदार हैं। जमीनी हकीकतों से दूर डिजीटल चश्मे से वह दुनिया देखते हैं जिसका असर खुद उनके राजनीतिक कैरियर पर पड़ा है मगर वह इसे स्वीकार नहीं करते हैं। बहरहाल जिस प्रकार से बिहार में राहुल की रैली से नेता भाग रहे हैं उससे कांग्रेस का हश्र चुनाव में क्या होगा इसका थोड़ा-थोड़ा अंदाजा लग रहा है।