रिलायंस कम्पनी की रोजा उत्पादन इकाई के निदेशक को नियामक आयोग की फटकार

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लखनऊ। रिलायंस कम्पनी की रोजा उत्पादन इकाई पर राज्य विद्युत नियामक आयोग ने आंखें तरेरी हैं। आयोग ने रोजा के निदेशक को सुनवाई के दौरान जमकर फटकार लगाई है। रिलायंस रोजा की 300 मेगावाट की चार इकाईयों के लिये रोजा ने वर्ष 2014-15 से वर्ष 2018-19 के लिये दाखिल मल्टी इयर टैरिफ फिक्सेशन की याचिका पर बुधवार को विद्युत नियामक आयोग में आयोग अध्यक्ष देश दीपक वर्मा की अध्यक्षता में सदस्य आईबी पाण्डेय व मीनाक्षी सिंह की उपस्थिति में सार्वजनिक सुनवाई सम्पन्न हुयी। जिसमें पावर कॉरपोरेशन के अधिकारियों के अलावा रिलायंस रोजा के कार्मिकों सहित उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने भाग लेकर अपनी अपनी बात रखी। रिलायंस की तरफ से उनके अधिकारियों ने अपनी याचिका पर अविलम्ब फैसला सुनाने की बात रखी वहीं पावर कॉरपोरेशन की ओर से रिलायंस की रोजा पावर के कैपिटल कास्ट के मुददे पर छह माह का समय मांगा गया वहीं उपभोक्ता परिषद ने रोजा के अनेकों मुददों व मानकों पर कडी आपत्ति दर्ज कराई। आयेाग अध्यक्ष ने रोजा पावर के अधिकारियों व पावर कॉरपोरेशन के अधिकारियों पर तल्ख टिप्पणी करते हुये अनेकों बार सुनवाई में फटकार लगायी। सुनवाई काफी हंगामेदार रही।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि रोजा की वेबसाइट पर टैरिफ संबंधी कोई भी सूचना अपलोड नहीं हो रही है और साथ ही उनकी वेबसाइट पर जाने पर अनेकों सूचना भरने का कालम रखा गया है, जो गलत है। उपभोक्ता परिषद की शिकायत पर आयोग ने सूचना प्राप्त करने के लिये वेबसाइट को अपडेट करने का आदेश दिया था। लेकिन रिलायंस ने आयोग के आदेशों का पूरी तरह से उल्लंघन किया है। परिषद द्वारा आगे रिलायंस की चारों इकाइयों की कुल कैपिटल कास्ट 6723 करोड को ज्यादा बताते हुये कहा कि इस कास्ट के अनुसार लगभग रोजा पावर की प्रति मेगावाट कास्ट 5.60 करोड रुपए आ रही है जो 300 मेगावाट की इकाइयों के लिये बहुत ज्यादा है। किसी भी कीमत पर कैपिटल कास्ट 300 मेगावाट की इकाई की 4.50 करोड रुपया प्रति मेगावाट से ज्यादा नहीं हो सकती। ऐसे में सच्चाई का खुलासा कराने के लिये रोजा पावर की कैपिटल कास्ट की सीएजी से जांच करायी जाये। उपभोक्ता परिषद ने यह भी बात रखी कि रोजा ने अपनी याचिका पीपीए के आधार पर दाखिल की है जबकि नियमानुसार यह याचिका जनरेशन टैरिफ रेग्यूलेशन की धारा 2 (4) के आधार पर रेग्यूलेशन के हिसाब से दाखिल होनी चाहिये। उपभोक्ता परिषद ने पूर्व में डीम्ड एनर्जी का भी मुददा उठाया। परिषद अध्यक्ष व रोजा पावर के निदेशक विभव अग्रवाल से सूचना सुगमता से उपलब्ध कराने के मुददे पर काफी तीखी नोंक झोंक भी हुयी। जिस पर आयोग अध्यक्ष ने हस्तक्षेप कर मामले को संभाला। आखिरकार नियामक आयेाग के अध्यक्ष देश दीपक वर्मा ने रिलायंस की रोजा पावर की वेबसाइट पर सुगमता से सूचना उपलब्ध कराने के मुददे पर रोजा के निदेशक को कडी फटकार लगायी और कहा कि पारदर्शिता के आधार पर हर सूचना वेबसाइट पर उपलब्ध होनी चाहिये। इसलिये अविलम्ब सूचना वेबसाइट पर उपलब्ध करायी जाये और यह भी निर्देश दिया कि रोजा पावर टैरिफ से संबंधित सभी सूचना आयोग अपनी वेबसाइट पर तत्काल अपलोड करे। पावर कॉरपोरेशन ने रोजा के कैपिटल कास्ट पर छह माह का समय मांगे जाने पर आयोग अध्यक्ष ने फटकार लगाते हुये कहा कि केवल एक महीने का समय दिया जायेगा इस बीच अगर कैपिटल कास्ट की सूचना नहीं प्राप्त होती तो भविष्य में वर्ष 2011-12 व वर्ष 2012-13 की रोजा संबंधी ट्रू-अप याचिका का कोई भी भार प्रदेश की जनता पर नहीं पड़ेगा उसका सारा भार पावर कॉरपोरेशन को खुद वहन करना होगा। जनता के रिटेल टैरिफ पर कोई भार नहीं पड़ेगा और यह भी निर्देश दिया कि अगस्त महीने में दोबारा रोजा से संबंधित टैरिफ निर्धारण पर सार्वजनिक सुनवाई की जायेगी।