दादागिरी पर उतर आया पड़ोसी देश नेपाल

nepal-crisisनेशनल डेस्क। नेपाल ने भारत से कहा कि पेट्रोलियम और अन्य जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति में बाधा डालकर उसे इस तरह से मजबूर ना करे कि उसे तमाम दिक्कतों के बावजूद चीन की तरफ जाने को विवश होना पड़े। भारत द्वारा नेपाल के नेतृत्व को दिए गए इस आश्वासन पर कि जल्द से जल्द हालात का समाधान होगा, नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने कहा कि भारत को एक समय अवधि देना चाहिए। मतलब ये कि कितने घंटे, हफ्ते या महीना ? इस बीच, भारत ने इन अफवाहों का खंडन किया है कि उसने नेपाल को आपूर्ति पर रोक लगा दी है। भारत ने कहा कि बाधा उस देश में प्रदर्शन एवं अशांति की वजह से पहुंची है क्योंकि भारतीय कंपनियों एवं ट्रांसपोर्टरों को अपनी सुरक्षा का डर सता रहा है। नेपाल में भारत के राजदूत रंजीत राय ने रविवार को प्रधानमंत्री सुशील कोइराला से शिष्टाचार भेंट की और नेपाल को आपूर्ति की बहाली से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि अगर आप हमें मजबूर करेंगे या जैसा कि आप कहते हैं मरता क्या ना करता तो हम दूसरे देशों से संपर्क करने को विवश हो जाएंगे। साथ ही कहा, हालांकि, सामान भेजने संबंधी दिक्कतें है लेकिन अगर कोई विकल्प नहीं बचता तो नेपाल चीन सहित अन्य देशों से संपर्क करेगा।
मालूम हो कि नेपाल का संविधान मसौदा तैयार होने के दौरान मधेशियों ने इन इलाकों में हिंसक प्रदर्शन भी किया था। जबर्दस्त समर्थन से संविधान पारित किये जाने के कुछ घंटे बाद ही हिंसा शुरू हो गयी और जरूरी रसद लेकर काठमांडो की तरफ जाने वाले ट्रकों को रोक दिया गया। मधेसी, थारू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के प्रदर्शनकारियों एवं पुलिस के बीच एक माह से भी अधिक समय तक चली झड़प में कम से कम 40 लोगों की जान चली गई हैं। मधेसी भारत की सीमा से सटे तराई क्षेत्र में रहने वाले भारतीय मूल के लोग हैं और वे नेपाल को सात प्रांतों में बांटने के विरुद्ध हैं।