आजम के यूएन को लिखे खत पर बढ़ी तकरार

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लखनऊ। यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री और सपा नेता आजम खां के यूएन को खत भेजने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। आजम द्वारा दादरी की घटना पर बयान दिया था कि भारत में मुस्लिम सुरक्षित नहीं हैं और इसके लिए वह यूएनओ को खत भेजेंगे। इस पर कई दलों ने अपनी प्रतिक्रिया करते हुए कड़ी नाराजगी जाहिर की है। वहीं यूपी की जनता भी अब सवाल पूछ रही है कि क्या आजम खां को भारत के संविधान और उनकी सपा सरकार पर भरोसा नहीं है जो वे यूएन को मामला भेज रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि वह ऐसा कर सकते हैं जबकि कुछ का कहना है कि यह गलत कदम है।  प्रदेश के अपर महाधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ में कोई भी समाजिक संस्था या एनजीओ मानवाधिकार हनन के मामले को उठा सकता है। श्री जिलानी मो. आजम खां के संयुक्त राष्ट्र में दादरी कंाड उठाने पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत मानवाधिकारों के प्रति प्रतिबद्ध है इसलिए संघ उसकी सुनवाई कर सकता है। श्री जिलानी ने कहा कि सरकार यह कह सकती है कि यह देश का आन्तरिक मामला है इसलिए देश में ही सुनवाई की जाए किंतु वह इस मामले को यूएनओ में उठा सकते हैं।
वहीं दूसरी ओर विधान परिषद में नेता भाजपा और पूर्व संसदीय कार्य मंत्री हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि जहां तक उनकी जानकारी है कि कोई भी व्यक्ति किसी मामले को सीधे तौर पर नहीं उठा सकता। यदि किसी संगठन को आमंत्रित किया गया है तो वह मानवाधिकारों के सम्मेलन में उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह घटना उत्तर प्रदेश की है इसलिए इसमें पुलिस और मुख्यमंत्री ही दोषी हैं। इस मामले में प्रधानमंत्री कहां देाषी है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में केवल राष्ट्राध्यक्ष और उसके प्रतिनिधि ही कोई मामला उठा सकते हैंं।