यूएनओ को आजम ने टेक्निकली भेजा है इस्तीफा

azam-khan with lettarलखनऊ। यूपी सरकार के मंत्री आजम खां ने प्रदेश के दादरी के बिसाहड़ा गांव में हुई घटना को अमेरिका व इजराइल के वर्चस्व वाले यूएनओ में पहुंचा कर यह साबित कर दिया है कि प्रदेश की चुनी हुई अखिलेश सरकार और देश के संविधान पर उनका भरोसा नही है। आजम खां ने उप्र के मंत्री के रूप में शपथ लेते समय संविधान के प्रति निष्ठा का भरोसा दिया था, तकनीकी रूप से यूएनओ को भेजा गया उनका पत्र स्वयं में इस्तीफा है।
यह भी याद रखें कि उप्र में अखिलेश सरकार के गठन के समय श्री आजम खां ने अधूरी शपथ ली थी, जिसके कारण उनका मंत्री पद खतरे में था, उन्हे मुख्यमंत्री अखिलेश ने दुबारा राजभवन में राज्यपाल से शपथ दिलायी थी। देश के संविधान के प्रति उनका अनादर उसी समय सार्वजनिक हो गया था। अब उन्होने उप्र की अखिलेश सरकार जिसमें वे खुद भी बहैसियत मंत्री मौजूद है के अस्तित्व को ही मानने से इंकार कर दिया है, कानून व्यवस्था को संविधान में राज्य की सूची में रखा गया है, उप्र के ग्रह मंत्री का जिम्मा मुख्यमंत्री के पास है। साफ है कि उन्हें सामूहिक उत्तरदायित्व के मंत्रिमंडल पर भी भरोसा नही है। ऐसे में उनका मंत्री पद तकनीकी रूप से स्वत:समाप्त हो जाता है।
आपके सुलभ संज्ञान के लिए वह शपथ भी प्रस्तुत है जिसके बाद मंत्री पद का दायित्व मिलता है।
पद और गोपनियता की शपथ–
मैं, अमुक, ईश्वर की शपथ लेता/लेती हूं, सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता/करती हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा/रखूंगी (संविधान का सोलहवां संशोधन अधिनियम, 1963 की धारा 5 द्वारा अंत:स्थापित।) मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा
मैं ——— राज्य के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंत:करण से निर्वहन करूंगा/करूंगी तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा/करूंगी।
गोपनीयता की शपथ का प्रारूप: मैं, अमुक, ईश्वर की शपथ लेता/लेती हूं, सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता/करती हूं कि जो विषय ——————- राज्य के मंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को, तब के सिवाय जबकि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूंगा/करूंगी।
राज्य में विधायकों के लिए शपथ
मैं, अमुक, —————- जो विधानसभा (या विधान परिषद्) में स्थान भरने के लिए अभ्यर्थी के रूप में नामनिर्देशित हुआ हूं, ईश्वर की शपथ लेता/लेती हूं सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा और मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा।
गोपनीयता की शपथ का प्रारूप- किसी राज्य के विधान मंडल के सदस्य द्वारा ली जाने वाली शपथ या किए जाने वाले प्रतिज्ञान का प्रारूप:
मैं, अमुक, जो विधानसभा (या विधान परिषद्) का सदस्य निर्वाचित (या नामनिर्देशित) हुआ/हुई हूं, ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता/करती हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा/रखूंगी तथा जिस पद को मैं ग्रहण करने वाला हूं, उसके कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करूंगा/करूंगी।