शायर ने पूछा सवाल: ओवैसी के पास कहां से आये 10 हजार करोड़

Munawwar-Ranaनई दिल्ली। शायर मुनव्वर राणा यूपी सरकार की कारगुजारियों से काफी नाराज हैं। समाजवादी सरकार द्वारा किये जा रहे क्रियाकलापों पर उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी सही लोगों पर नहीं है। यूपी में उर्दू अकादमी के चेयरमैन ही गलत बनाए गए हैं। यूपी में नेता नहीं दलाल पैदा होते हैं। मुशायरे में आए मुनव्वर राणा सहारनपुर के अंबाला रोड स्थित होटल में शायर अनवर जलालपुरी के साथ पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो जिस लायक नहीं होता, उसे चेयरमैन बना दिया जाता है। कोई मुसलमान है और शायर है तो उसे चेयरमैन बना दो, यह गलत है। चेयरमैन का फर्ज बनता है कि वह सरकार की गिरेबां पकड़कर जवाब मांगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जंग में सिर्फ दुआएं काम नहीं आतीं, किसी ओहदे पर जाकर सिर झुकाना पड़ा है, जो उन्हें मंजूर नहीं है। उर्दू एकेडमी को मजबूत करने के साथ ही सरकार पर दबाव बनाए की प्रत्येक डीएम के अधीनस्थ एक उर्दू अधिकारी की तैनाती हो, तभी इस देश की जुबान को बचा पाना संभव होगा। उन्होंने कहा कि आज धर्मगुरु अपनी दुकानें चला रहे हैं। उर्दू अकादमी का काम ट्रांसफर पोस्टिंग हो गया है। वैसे भी उत्तर प्रदेश में नेता नहीं दलाल पैदा होते हैं, जो लव जिहाद जैसे मुद्दे उछालकर अपना मसला सीधा करते हैं। आज हर कोई पैसे के लिए काम कर रहा है, हम मुशायरे में पैसा लेकर आए हैं, आप नौकरी पैसे के लिए कर रहे हैं, यही हाल सभी का है। गाय के सवाल पर उन्होंने कहा कि मां को बेचने वाला सबसे बड़ा गुनहगार है। आज मसला गाय का नहीं 2017 के चुनाव का है। सरकारें तय कर लें कि फसाद में मरने वाले को एक करोड़ दिए जाएंगे तो सांप्रदायिकता अपने आप खत्म हो जाएगी। ओवैशी के सवाल पर कहा कि ओवैशी पहले यह बताएं वह 10 हजार करोड़ के मालिक कैसे हो गए। ऐसे लोग कौम को गुमराह कर बेचने को आते हैं। अनवर जलालपुरी ने कहा कि उर्दू को अपने घर में मां-बाप, बेटा-बेटी जैसा सम्मान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की कोई अपनी जबान नहीं है, लेकिन उसने इसे गले लगाया, लेकिन वहां भी उर्दू के साथ सलूक बेहतर नहीं हुआ।