माया का हवामहल खा गया 86 करोड़: हाईकोर्ट का चला डंडा

mayawati_homeलखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बुधवार को यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के बंगले के पुनर्निमाण पर खर्च हुए 86 करोड़ रूपए के मामले में प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि मायावती के निजी घर के पुनर्निमाण पर इतनी बड़ी सरकारी धनराशि क्यों खर्च की गई। कोर्ट ने प्रदेश सरकार से दस दिन में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट में अधिवक्ता मोतीलाल यादव ने एक जनहित याचिका दायर कर मायावती पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने निजी आवास के निर्माण के लिए पास के दो बंगलों को अधिकृत कर सरकारी धनराशि से एक बड़ा बंगला बनाया है।
मालूम हो कि यूपी की पूर्व सीएम और बसपा प्रमुख मायावती के निजी बंगले को बार-बार गिराने और संवारने की वजह से उसकी कीमत बढ़ गई। मायावती ने अपने बंगले को संवारने में 86 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। मायावती के शासन के दौरान ही लगाई गई एक आरटीआई के जरिए मायावती के इस शाहखर्ची का खुलासा हुआ था। मायावती 1995 में जब पहली बार मुख्यमंत्री बनीं थीं, तब उन्हें मॉल एवेन्यू का बंगला मिला था। इस बंगले को सजाने-संवारने का काम 2007 में शुरू हुआ, जब वह दूसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। यह बंगला पांच एकड़ जमीन में बना है। मायावती के पास राजधानी लखनऊ के साथ-साथ दिल्ली में भी चार सरकारी बंगले हैैं। जिसपर अनाधिकृत निर्माण कर बेहिसाब पैसे खर्च करने को लेकर विवाद हो चुका है। किसी एक ही व्यक्ति को चार सरकारी बंगले अलॉट कर दिए जाना कानूनन गलत है, वहीं इनमें निर्माण कराया जाना भी सही नहीं ठहराया जा सकता। सूत्रों के अनुसार मायावती ने दिल्ली में स्थित अपने बंगलों में बगैर किसी मंजूरी के बेहिसाब तरीके से खर्च किया और अनाधिकृत निर्माण कराया।
कहां कहां है माया का आशियाना
यूपीए सरकार में मायावती को गुरुद्वारा रकाबगंज रोड पर टाइप-8 के ये तीन बड़े बंगलों एक जगह मिलाकर अलॉट किया गया। इसकी पूरी प्रक्रिया सीपीडब्लूडी ने संपन्न कराई। ये बंगले बहुत बड़े हैं और इन्हें केवल केंद्रीय मंत्रियों या सचिवों को ही दिया जा सकता है। 12, 14 और 16 नंबर के इन बंगलों में फ्रंट और बैक लॉन हैं। मायावती को ये बंगले बहुजन प्रेरणा ट्रस्ट के नाम पर आवंटित किए गए हैं। माया को 30 जुलाई 2007 में 12 जीआरपी स्थित बंगला मिला था। इसके बाद 30 अप्रैल 2008 को बंगला संख्या 14 जीआरपी और 4 नंवबर 2010 को बंगला संख्या 4 जीआरपी आवंटित किया गया था।