नई दिल्ली। नामचीन लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा कि भारत के अधिकांश बुद्धिजीवियों ने तब कुछ नहीं कहा था जब वह मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर थीं। हालांकि जब वे हमले का शिकार हुए तब मैंने उनका साथ दिया था, क्योंकि मैं ढोंग नहीं करती।
अपने बेबाक लेखन और टिप्पणियों के लिए चर्चित तसलीमा के अनुसार कुछ भारतीय लेखकों ने उनकी पुस्तक पर पाबंदी लगाने और उन्हें पश्चिम बंगाल से बाहर किए जाने का भी समर्थन किया था। तसलीमा ने कहा कि तमाम भारतीय लेखक तब भी चुप रहे जब उनके खिलाफ फतवे जारी हुए, उन्हें दिल्ली में नजरबंदी की हालत में रहना पड़ा और उनकी किताब पर आधारित एक टीवी धारावाहिक का प्रसारण रोक दिया गया। उन्होंने ज्यादातर भारतीय लेखकों को दोहरे मानदंड वाला करार दिया। बांग्लादेश से निर्वासित लेखिका के मुताबिक भारत में ज्यादातर सेक्युलर लोग मुस्लिम समर्थक और हिंदू विरोधी हैं। वे हिंदू कट्टरपंथियों के कामों का तो विरोध करते हैं,लेकिन मुस्लिम कट्टरपंथियों का बचाव करते हैं।