कर चोरों पर शिकंजा और कसा: केन्द्र ने बनायी नई नीति

taxनई दिल्ली। कर चोरी के गंभीर अपराधों में लिप्त व्यक्ति अब केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1994, वित्त अधिनियम के तहत प्रयुक्त उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क अधिनियम 1962 के तहत गिरफ्तारी और अभियोजन के लिए उत्तरदायी होंगे। इस दिशा में केन्द्रीय आबकारी और उत्पाद शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने समय- समय पर नियत प्रक्रियाओं, बचाव और सीमा रेखा का प्रयोग विवेक और उत्तरदायित्व के साथ करने के दिशा निर्देश जारी किए हैं। सीबीईसी ने आज ताजा निर्देश जारी कर पुराने सर्कुलर को रद्द करते हुए उन्हें निम्न उद्देश्यों के लिए एक जगह समेकित कर दिया है।
गिफ्तारी और अभियोजन के लिए मौद्रिक सीमा का मंझोले और लघु उद्योगों के खिलाफ शक्ति प्रयोग न हो इसे सुनिश्चित करने के लिए काफी हद तक उधर््वाधार रूप में संशोधित कर दिया गया है। अब कर चोरी के मामले या केंद्रीय आबकारी और सेवा के मामले में गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट के प्रयोग की सीमा 25 लाख रुपये से एक करोड़ और क्रमश: 10 लाख रुपये कर दी गई है।
सीमा शुल्क अधिनियम के तहत गलत तरीके से शुल्क में छूट प्राप्त करने के कर चोरी के मामले में 10 लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर दिया गया है। इसी तरह आयात और निर्यात के दौरान वस्तुओं के मूल्य निर्धारण के मामले में भी कर का मूल्यांकन किया जाएगा।
पूर्ण रूप से तस्करी और सामानों की गलत घोषणा के मामले में आपत्तिजनक सामानों के मूल्य संशोधित कर 5 लाख से 20 लाख रुपए कर दिए गए हैं। इससे पहले की तरह भारतीय मुद्रा के तस्करी ,शस्त्र गोला- बारुद और लुप्त प्रजातियों के मामले में गिरफ्तारी व अभियोजन की कोई न्यूनतम सीमा तय नहीं होगी। गिरफ्तारी और अभियोजन की प्रक्रियाओं को संशोधित किया गया है तथा विशेष और प्रर्याप्त बचाव का प्रावधान किया गया है। इन निर्देशों में इस बात को सुनिश्चित किया गया है कि केवल संशोधित बचाव से ऊपर के गंभीर प्रकृति के मामलों, जिनमें प्रथम दृष्टया प्रमाण वैसे ही मामलों में इसका प्रयोग हो।