पीआके पर दावेदारी मजबूत करेगा भारत: तैयारी शुरू

pokनई दिल्ली। भारत सरकार पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर पर अपने दावे को और मजबूत करने की तैयारी में है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में गुलाम कश्मीर के लिए खाली सीटों को भरा जा सकता है।
हालांकि कुछ कानूनी अड़चनें हैं लेकिन बात बनी तो इन सीटों पर विदेशों में रह रहे गुलाम कश्मीर के गणमान्य व्यक्तियों को मनोनीत किया जा सकता है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में गुलाम कश्मीर के प्रतिनिधियों के लिए 24 सीटें खाली रखी जाती हैं। इसके साथ ही सरकार लोकसभा में गुलाम कश्मीर को प्रतिनिधित्व देने पर भी विचार कर रही है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सरकार अब पाकिस्तान के साथ कश्मीर मुद्दे को लेकर आर-पार की कूटनीतिक लड़ाई के मूड में है। इसके लिए गुलाम कश्मीर में कश्मीरियों के साथ हो रहे अत्याचार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित करने की हरसंभव कोशिश की जाएगी। इसके लिए जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में गुलाम कश्मीर के लिए छोड़ी गई सीटों के भरने पर विचार किया जा रहा है। लेकिन पाकिस्तान के कब्जे में होने के कारण अभी तक ये सीटें खाली छोड़ दी जाती थीं।
सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान को आइना दिखाने के लिए इन सीटों पर अब गुलाम कश्मीर के नुमाइंदों को मनोनीत किया जा सकता है। विदेशों में रहने वाले गुलाम कश्मीर के अहम व्यक्ति इसके लिए उपयुक्त होंगे। सोच यह है कि जम्मू-कश्मीर की विधानसभा के भीतर जब गुलाम कश्मीर का व्यक्ति वहां आम कश्मीरियों के साथ हो रहे अत्याचार के बारे में बोलेगा तो घाटी के युवाओं को पाकिस्तान की साजिश बेहतर समझ में आएगी।
वैसे जम्मू-कश्मीर में गुलाम कश्मीर के बाशिंदे को मनोनीत करने में फिलहाल कुछ कानूनी अड़चनें आ सकती हैं। जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में चुने हुए प्रतिनिधियों की व्यवस्था है, लेकिन मनोनीत प्रतिनिधि को शामिल करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। इसके लिए राज्य सरकार को विश्वास में लेकर कानूनी प्रावधान करना होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक बार फैसला हो जाने के बाद कानूनी बाधाओं को दूर करने पर काम शुरू हो जाएगा।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में गुलाम कश्मीर के मनोनीत सदस्यों के साथ सरकार लोकसभा में गुलाम कश्मीर के लिए विशेष सीट की व्यवस्था कर सकती है। सरकार में अंदरूनी स्तर पर कई सालों से इस पर विचार भी किया जा रहा था, लेकिन पाकिस्तान के साथ संबंधों को सुधारने की उम्मीद में इस पर कभी अमल नहीं किया गया।