व्यापारी आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी होते हैं: नरेश अग्रवाल

गाजियाबाद। “प्रधान जी” के नाम से जाने जाने वाले नरेश अग्रवाल गाजियाबाद व्यापार जगत के एक लोकप्रिय व्यक्तित्व हैं । ब्रांडेड फूड ग्रेन आइटम्स के थोक विक्रेता नरेश अग्रवाल ना केवल अपनी व्यापारिक कुशलता के लिए वरन अपने हंसमुख स्वभाव कभी ना पराजित होने वाली दृढ़ता तथा किसी भी समस्या के अंतिम छोर तक जाकर उसका निष्पादन करने की क्षमता के कारण गाजियाबाद के व्यापारी समाज में अत्यंत लोकप्रिय है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि श्री अग्रवाल अपने किसी व्यापारी भाई को किसी समस्या से घिरा होने पर उस समस्या का निवारण उसे अपनी समस्या मानते हुए निस्वार्थ भाव से करते हैं और यही कारण है कि अपने मिलने वालों के हृदय पर वह सदैव अपनी अमिट छाप छोड़ते हैं । नरेश अग्रवाल विगत 40 वर्षों से अधिक समय से खाद्यान्न व्यापार संघ गाजियाबाद के अध्यक्ष पद को सुशोभित कर रहे हैं । इसके अलावा वे महानगर उद्योग व्यापार मंडल के कोषाध्यक्ष के महत्वपूर्ण पद पर भी आसीन है । श्री अग्रवाल के अनुसार मनुष्य के कर्मों के अनुसार ही उसकी नियति तय होती है अत: हमेशा हर किसी को सत्कर्म करने हेतु तत्पर रहना चाहिए । “नर सेवा ही नारायण सेवा ” की विचारधारा को हृदय से मानने वाले नरेश अग्रवाल अपनी व्यस्त दिनचर्या में से समय निकालकर रोजाना कुछ ना कुछ समाज सेवा का कार्य अवश्य करते हैं । समाज सेवा उनके लिए महज एक कार्य नहीं अपितु जीवन में आनंद प्राप्ति का सर्वोत्तम मार्ग है । उनकी सादगी भरी जीवन शैली को देखकर कोई भी इस बात का अंदाजा नहीं लगा सकता कि एक सफल व्यापारी होने के साथ-साथ वे गाजियाबाद व्यापार मंडल के इतने महत्वपूर्ण पदों पर विगत 4 दशकों से आसीन है। नरेश अग्रवाल ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि पहले व्यापारी भाइयों में संसाधनों का एवं सुविधाओं का नितांत अभाव होते हुए भी आपस में बड़ा प्रेम एवं सौहार्द हुआ करता था । साथ ही व्यापारियों की संख्या कम होने के कारण सभी व्यापारियों में व्यक्तिगत एवं नितांत मधुर संबंध हुआ करते थे जिसमें कृत्रिमता अथवा बनावटीपन की गुंजाइश बिल्कुल नहीं हुआ करती थी। पर आज के व्यस्त एवं प्रतिस्पर्धा पूर्ण वातावरण में बहुत कुछ बदल गया है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आज इंसान से इंसान की दूरी पास रहते हुए भी बहुत बढ़ गई है जो वास्तव में एक चिंता का विषय है। व्यापार की प्रतिस्पर्धा पूर्ण जीवन शैली के कारण आज व्यापारी भाई परोपकार, समाज कल्याण जैसे सामान्य मानवीय गुणों को शायद मन में इच्छा रहते हुए भी दरकिनार कर देते हैं । नरेश अग्रवाल आडंबर पूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों पर केवल प्रतिस्पर्धा वश या फिर अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा के दिखावे के लिए किए गए अनावश्यक खर्च के खिलाफ है । उनके अनुसार जागरण तथा ऐसे ही धार्मिक अनुष्ठानों पर की जाने वाली एक बड़ी रकम का उपयोग गरीब परिवारों की सेवा बुजुर्गों की सेवा निशुल्क चिकित्सालय अथवा निर्धन छात्रों हेतु निशुल्क विद्यालय खुलवा कर किया जा सकता है जिससे उस रकम के एक एक रुपए का वास्तविक सदुपयोग हो सकेगा ।