साहिबाबाद। कृषि सुधार बिलों के खिलाफ के खिलाफ पिछले 6 महीनों से आंदोलनरत किसानों ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। यह आंदोलन आगे भी कब तक चलेगा यह कह पाना मुश्किल है। सरकारी पक्ष का कहना है कि वे सदैव किसानों के संग खुले मन से सभी मुद्दों पर बातचीत करने के लिए तैयार हैं। परंतु आंदोलनकारी किसानों का मानना है कि उन्हें सरकार की मंशा पर भरोसा नहीं। हालांकि उन्हें इस बात की आशंका जरूर है कि उन्हें कोरोना का हवाला देकर या किसी और बहाने आंदोलन स्थल से सरकार द्वारा हटाया जा सकता है। इसलिए तय कार्यक्रम के अनुसार भारतीय किसान यूनियन द्वारा 5000 से अधिक किसानों की सूची तैयार की गई जिसके आधार पर उन सभी को किसान आंदोलन के 6 माह पूरे होने पर 26 मई को काला दिवस के रूप में मनाने को आमंत्रित किया गया था। यह सूची मुख्य रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों तथा किसान संगठनों की बनाई गई थी। इस संबंधी भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि उनकी मांगे पूरी होने तक अविराम रूप से आंदोलन चलता रहेगा और वे अपना हक यहां से लेकर ही उठेंगे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि हमारी ताकत को कम करके आंकने की भूल सरकार द्वारा ना की जाए। जिन 5000 किसान भाइयों को हमने आमंत्रित किया है वह दरअसल हमारे कैडर हैं। उनके पीछे लाखों के साथ खड़े हैं। उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने शायद यह सोच रखा है कि एक दिन हम थक हार कर अपने अपने गांव को वापस लौट जाएंगे। इसलिए हमने लंबी लड़ाई लडऩे की रणनीति बनाई है। किसानों से यह अपील की गई है कि वे अपने मकान की छतों, खेतों तथा ट्रैक्टर एवं अन्य वाहनों पर काले झंडे लगाकर सरकार के खिलाफ आपत्ति जताएंगे । हालांकि गन्ने तथा गेहूं की कटाई की वजह से पिछले दिनों आंदोलन स्थल में किसानों की संख्या में काफी कमी आई थी तथा आंदोलन स्थल विरान होने के साथ-साथ वहां के तंबू आदि भी खाली रहने लगे थे। परंतु एक सधे हुए रणनीतिकार की तरह राकेश टिकैत द्वारा एक बार फिर से हुंकार भरा गया है । आंदोलन स्थल पर आने वाले तथा फिर से भीड़ जुटाने वाले किसानों में ज्यादातर पंजाब तथा हरियाणा के किसान थे। यद्यपि भारतीय किसान यूनियन द्वारा कोरोना महामारी के मद्देनजर कोरोना प्रोटोकॉल को मानते हुए शांतिपूर्ण ढंग से करने की अपील किसानों द्वारा की गई थी परंतु पुलिस तथा प्रशासन की लाख चौकसी के बावजूद आंदोलनरत किसान यूपी गेट तथा सिंघु बॉर्डर पर आगजनी तथा उपद्रव आदि करने से बाज नहीं आए जिसने पुलिस तथा प्रशासन की सिरदर्दी बढ़ा दी ।
किसानों ने मनाया ब्लैक डे
