अमृतांशु मिश्र। कल्पा से काजा के लिए हम लोग नाशता आदि करके निकल पड़े। कल्पा से काजा की दूरी ज्यादा थी इसलिए हमलोग कई सुंदर दृश्यों को भी छोड़ दे रहे थे। कल्पा से काजा के रास्ते में नाको, ताबो और पू स्थान भी पड़ा जहां हमलोग नहीं रुके। काजा के रास्ते में सतलुज, स्फीती रिवर भी पड़ती जिसको देखकर बिना रुके नहीं रहा जा रहा था। काजा पहुंचने के लिए कल्पा में होटल वालों ने बताया कि करीब 6 से 7 घंटे लगेंगे मगर देखा जाये तो पहाड़ पर वाहन चलाना मैदानी इलाकों से एकदम अलग होता है। करीब सवा 2सौ किमी का सफर हमलोगों को तय करना था। और शाम होने से पहले काजा में रुकना था। मगर इसके बाद भी पहाड़ों पर पसरी बर्फ की चादर देखकर मन बिना रुके मान नहीं रहा था। हम लोग कई ऐसे स्थानों पर रुके जहां की खूबसूरती देखकर लगता था कि प्रकृति ने भी गजब चीज बनायी है। एक तरफ साफ नीला और हरा पानी और दूसरी तरफ बर्फ से लदे पहाड़। बदन को चीरती ठंड और तेज हवाओं से एहसास होता था कि हमलोग करीब 14 हजार फीट की ऊंचाई पर हैं जहां सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था। खैर हमलोग फोटोशूट आदि करने के बाद हिक्किम के लिए रास्ता ले लिए। बता दूं कि हिक्किम में दुनिया का सबसे ऊंचाई पर स्थित पोस्ट आफिस है समुद्र तल से करीब 14567 फीट पर स्थित यह डाकखाना दूर-दूर तक लोगों को उनका संदेश पहुंचाने में मदद करता है। इस पोस्ट आफिस पर आकर अक्सर सैलानी पोस्टकार्ड खरीदते हैं और अपने घरों को भेजते हैं। इससे इस डाकघर की आय भी होती रहती है। खैर हमलोग हिक्किम का डाकघर देखने और फोटो आदि खिंचाने के बाद दूसरे स्थल चीचम ब्रिज देखने के लिए रास्ता पकड़ लेते हैं। पहाड़ी इलाके का रास्ता इतना खतरनाक और टेढ़ामेढ़ा था कि गाड़ी चलाने में कलेजा कभी-कभी मुंह को आ जाता था। पहाड़ों से गिरने वाले झरने सडक़ को और तंग व दुरूह बना देते हैं। ऐसे में उनके बीच से गाड़ी निकालना किसी कला से कम नहीं। खैर हमलोग तमाम बाधाओं को पार कर दूसरे स्थल चीचम ब्रिज पर पहुंच गये। ब्रिज की खास बात केवल यह है कि यह ब्रिज एशिया का सबसे ऊंचाई पर स्थित ब्रिज है। इस ब्रिज की ऊंचाई 13596 फीट है। यहां भी कुछ फोटो आदि खिंचवा कर हम लोग बढ़ चले। यहां पर बता दूं कि यह सभी स्थान लाहौल स्फीति वैली के अंदर ही आते हैं। चीचम और हिक्किम के बीच में सबसे पुरानी की मॉनेस्ट्री भी पड़ी जहां का इतिहास भी जाना गया। यहां मौजूद लामाओं ने पूरा इतिहास सुनाया और बताया कि 11वीं शताब्दी से इस जगह का विशेष स्थान है। खैर हमलोगों ने यहां का चक्कर लगाया और तमाम जिज्ञासाओं के बीच आगे के लिए निकल पड़े। करीब दिनभर की यात्रा के बाद शाम को करीब 7 बजे के करीब हम लोग काजा घाटी पहुंच गये। काजा स्फीति का काफी प्रसिद्ध स्थान है क्योंकि यहां बैंक, पेट्रोल पंप, कुछ बड़े छोटे होटल, रेस्ट्रा और एक बड़ी बाजार है। इस बाजार में आपको जरूरत का सभी सामान मिल जायेगा। क्योंकि इस इलाके में वर्षभर ठंड का प्रकोप रहता है तो हर दुकान पर आपको गर्म कपड़े मिल जायेंगे। खैर हमलोग काजा बाजार का पूरा भ्रमण किया। वहां के खान पान के बारे में जानकारी ली और घूमघाम कर होटल पल्लवी आ गये। काजा बाजार के बीच में मौजूद यह होटल काफी आरामदायक है और बजट में भी फिट बैठ जाता है। वैसे तो यहां खाना-पीना काफी मंहगा क्योंकि यहां मिलने वाली हर चीज काफी दूर से आती है। हमलोग खा-पीकर अपने-अपने रूम के लिए निकल गये। अगली सुबह के साथ हम लोगों का अगला दर्शनीय स्थल तय होता था।
क्रमश:-