लखनऊ। परिवहन निगम की बसों की पायलट सीट सीट पर ड्राइवर है या यमदूत। आखिर इन बसों के ड्राइवर्स को ऐसी भी क्या जल्दी है कि बसों को निर्धारित स्पीड से ऊपर भगा रहे हैं। उनकी यह छोटी सी लापरवाही जहां निगम के लिए मुसीबत बन गई वहीं यात्रियों की जान जा रही है। ऐसा नहीं है कि बसों के ओवर स्पीड चलने की जानकारी निगम को नहीं है लेकिन संवेदनहीन हो चुके निगम के अधिकारियों को यात्रियों की चिंता नहीं है। रोजाना सौ से अधिक बसें ओवर स्पीड पाई जाने के बाद ाी ऐसे ही ड्राइवर्स के हाथों में स्टीयरिंग दे दी जाती है जो आए दिन पैसेंजर्स की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।
बीते रविवार और सोमवार की रात साढ़े १२ बजे परिवहन निगम की अनुबंधित बस वॉल्वो (यूपी 32 सीजेड 2849) एक बार फिर से ओवर स्पीड पाई गई। इस ओवरस्पीड के चक्कर में बस ड्राइवर बस को काबू नहीं कर सका और दो की मौत हो गई।
इससे पहले बीते 21 जून को कानुपर में जिस बस (वॉल्वो बस यूपी 32 सीएन 2852) का एक्सीडेंट हुआ है वह भी ओवरस्पीड मिली थी। इस दुर्घटना में लखनऊ में रहने वाली एक महिला की मौत हो गई थी। ओवरस्पीड के चक्कर में नौ दिन के
अंदर दो हादसे हुए और तीन लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन संवेदनहीन हो चुके परिवहन निगम अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है। परिवहन निगम की बसों के ड्राइवर बसों की निर्धारित स्पीड को रौंद कर अपनी मनमर्जी की स्पीड से बसों को दौड़ा रहे हैं। परिवहन निगम के कर्मचारियों ने बताया कि सोमवार को जिस वॉल्वो बस सेवा का एक्सीडेंट हुआ उस समय वह ८७ से ज्यादा की र तार से दौड़ रही थी। बीते २१ जून को जो वॉल्वो दुर्घटना ग्रस्त हुई थी उसकी स्पीड भी ८५ किमी प्रति घंटे से ऊपर थी। निगम के कर्मचारियों ने बताया कि ऐसा नहीं कि प्रदेश में सिर्फ कुछ ही बसें ओवर स्पीड चल रही है। परिवहन निगम की कई बसों में वीटीएस (वेहकिल ट्रैकिंग सिस्टम) लगा हुआ है। इन्हें बसों में इसीलिए लगाया गया था जिससें इन पर नजर रखी जा सके। ये बसें कहां है और कितनी स्पीड में चल रही हंै, इसके बारे में निगम को जानकारी मिलती रहे। इस सिस्टम के माध्यम से जब बसों की स्पीड चेक की गई तो निगम के अधिकारियों से जब यह जानने की कोशिश कि ड्राइवर बसों को निर्धारित स्पीड से चला रहे है तो उनके होश उड़ गए।
वॉल्वों बस के प्रबंधक ने यह स्पष्ट कर दिया गया कि इस तरह की दुर्घटना फिर से हुई तो वॉल्वों बस सेवा बंद कर दी जाएगी। ओवरस्पीड मिलने पर बसों पर आरएम और एआरएम को पत्र लिया जाता है. उन पर कार्रवाई की जिम्मेदारी उन्हीं की है।