जानिए छोटा राजन का टिकट ब्लैकिया से डॉन तक का सफर

rajan newक्राइम डेस्क। माफिया डॉन छोटा राजन ने टिकट ब्लैक करने से लेकर सैकड़ों करोड़ का आपराधिक साम्राज्य कैसे खड़ा किया इसके पीछे लम्बी कहानी है। सिनेमा हॉल के बाहर लोगों को ब्लैक में टिकट बेचने वाला राजेन्द्र सदाशिव निखलजे कैसे क्राइम की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया। सबसे अहम बात है कि डॉन भले ही वह बन गया मगर उसको लोग देशभक्त भी मानते हैं।
महज पांचवीं कक्षा तक पढ़े राजन ने साल 1974 में ही जुर्म की दुनिया में कदम रख दिया था। तिलकनगर (मुंबई-चेंबूर) इलाके के सहाकर सिनेमा के बाहर बड़ा राजन गैंग के गुर्गों के साथ टिकट ब्लैक करने वाले राजन उस वक्त चर्चा में आ गए थे जब उन्होंने और बड़ा राजन के साथ मिलकर साल 1979 में चेंबूर की एक ग्लास फैक्ट्री के पास तिलक नगर पुलिस थाने के इंस्पेक्टर एस शर्मालकर पर हमला किया था। राजन का गैंग जुएंखाने और मटका मालिकों से हफ्ता भी वसूला करता था। ये इनकी कमाई का अहम जरिया था।
टिकटों की कालाबाजारी से अपराध की दुनिया में दस्तक देने के बाद राजेन्द्र सदाशिव निखलजे ने बड़ा राजन के साथ गैरकानूनी धंधे की बारीकियां सीखीं। बड़ा राजन की मौत के बाद निकालजे को छोटा राजन की हैसियत मिल गई। छोटा राजन ने कुछ वक्त के लिए दाउद इब्राहिम और अरूण गवली के साथ भी काम किया। साल 1989 में दाउद के भाई की शादी में राजन की पत्नी शामिल हुईं थीं। लेकिन साल 1993 के बम धमाकों के बाद दाउद और राजन अलग हो गए। बताया जाता है कि दोनों के बीच रिश्ते इसलिए खत्म हो गए क्योंकि राजन ने भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ को दाउद के बारे में जानकारियां दी थीं। दाउद से अलग होकर राजन ने अलग गैंग बना लिया। इसके बाद दाउद और राजन दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए। साल 1994 में राजन ने दाउद के अहम साथी बख्तियार अहमद की हत्या कर दी। साल 2002 में दाउद ने राजन से बदला लेने की ठानी लेकिन राजन ने एक बार फिर से दाउद के करीबी शरद शेट्टी की हत्या कर दी। राजन कई दशकों से फरार और भारत में कई मामले में वांछित था। जानकारी के मुताबिक राजन ऑस्ट्रेलिया के सिडनी से बाली पहुंचा था। राजन पर भारत में 15 से 20 हत्याओं में शामिल होने का संदेह था। बाली पुलिस इंटरपोल और भारतीय प्रशासन से समन्वय कर रही थी।