गांववालों की नजर में विलेन नहीं हीरो है छोटा राजन

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मुम्बई। सतारा जिले के फालतान तहसील के गिरवि गांव की जिस झोपड़ी में कभी छोटा राजन रहता था, वहां आज एक आलीशान बंगला है। बंगला पूरे इलाके में अलग ही नजर आता है। इस इमारत का नाम सदा लक्ष्मी है जो छोटा राजन का घर है। इंडोनेशिया के बाली में गिरफ्तार हुए छोटा राजन का बचपन इसी घर में बीता था। बंगले में पत्थर की दीवारों की किलेबंदी है और लोहे के बड़े-बड़े गेट हैं। बंगले में एक शानदार लॉन भी है। गांव वालों ने बताया कि जब कभी कोई पारिवारिक समारोह होता है तो छोटा राजन का भाई इस बंगले में आता है। इस बंगले में राजन के पिता सदाशिव सखाराम निखालजे की प्रतिमा भी है जो पचास के दशक में काम की तलाश में मुंबई चले गए थे। गांव के दुकानदार ने बताया कि छोटा राजन अच्छा गठीला किस्म का लड़का था और छुट्टियों में उसकी दुकान पर अक्सर आता था। राजन की पैदाइश मुंबई की थी लेकिन वह दीपावली और गर्मियों की छुट्टी में अक्सर गिरवी गांव आता था। गांव वालों ने बताया कि जब छोटा राजन मुंबई में कुख्यात हो गया तो उसने गांव आना बंद कर दिया लेकिन उसकी पत्नी और उसका भाई त्योहार के मौके पर पारिवारिक समारोह में गांव आते थे।
1976 में छोटा राजन के पिता की मौत के बाद उसका गांव आना बंद हो गया। छोटा राजन अपराधी था लेकिन दाउद द्वारा 1993 में मुंबई में सीरियल ब्लास्ट करने के बाद राजन द्वारा उससे बदला लेने का गांव वाले समर्थन करते हैं।