कहीं माइग्रेन न घटा दे आपकी प्रॉडक्टिविटी!

Adult Daughter Talking To Depressed Senior Fatherहेल्थ डेस्क। माइग्रेन यानी सिर में बार-बार ऐसा दर्द उठना जो आपके आधे सिर पर असर करता है। अपने साथ यह दर्द मितली और आंखों की कमजोर रौशनी भी लाता है। आपकी डिक्शनरी में माइग्रेन की समस्या शायद यूं ही परिभाषित होगी। लेकिन, माइग्रेन का दर्द इतना मामूली नहीं। माइग्रेन के कुछ मरीज थकान, रौशनी के प्रति संवेदनशीलता, फ्लैश, कभी-कभी आंखों के सामने अंधेरा छा जाने जैसी समस्याओं से दो-चार होते रहते हैं, और यह करीब 72 घंटों तक लगातार परेशान करता है। माइग्रेन के दर्द के साथ काम करना बेहद मुश्किल होता है। ऑफिस में अगर इसका दर्द उठे तो प्रॉडक्टिविटी और करियर दोनों पर असर पड़ सकता है। ऐसे में जरूरत होती है इस दर्द से फौरन राहत की। आइए जानें इसके कारणों और उपचार के बारे में।
माइग्रेन, काम और तनाव तनाव और माइग्रेन का सीधा संबंध है। कोच्चि के लेकशोर अस्पताल में कसल्टेंट न्यूरोसर्जन डॉ. अरुण ओमन के मुताबिक, तनाव 50-80त्न फीसदी मरीजों में माइग्रेन का प्रमुख कारण तनाव होता है। महिलाओं में यह समस्या माहवारी के दिनों के आसपास ज्यादा देखने को मिलती है। ऐसे लोग जिनके लिए डेडलाइन पर काम पूरा करना जरूरी होता है, तनाव में रहते हैं। और, अगर वर्कप्लेस शांत न हो, कॉम्प्यूटर्स के बीच काम करना हो तो लाइट्स माइग्रेन अटैक का कारण बन जाती हैं। बेंगलुरु के अपोलो हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट न्यूरॉलजिस्ट डॉ. संजीव सीसी का कहना है कि दिमाग के आसपास की ग्रंथियों में सूजन की वजह से माइग्रेन का अटैक आता है। और नींद पूरी न होना, व्रत रखना, समय पर भोजन न करना, तेज रौशनी के बीच रहना, लगातार टीवी देखना आदि से समस्या और बढ़ जाती है। साथ ही, लगातार कॉम्प्यूटर पर काम करने, तनाव में रहने, कॉफी, आईसक्रीम, रेड मीट, दुग्ध उत्पाद, नींबू, कोक आदि का ज्यादा सेवन करने और कुछ खास मौसमों में समस्या ज्यादा बढ़ जाती है। तो, अगर आप माइग्रेन की समस्या से परेशान हैं और कामकाजी हैं तो कुछ बातें ध्यान में रखें। ऐसे निपटें माइग्रेन से माइग्रेन को अपने पास फटकने ही न दें और अगर माइग्रेन अटैक होता ही है तो दवाएं और लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव आपके लिए फायदेमंद साबित होंगे। इस बात को याद रखें कि माइग्रेन का 100 फीसदी इलाज संभव नहीं। ऐसा नहीं है कि एक बार अटैक आने के बाद बार-बार या दोबारा आपको माइग्रेन के अटैक से दो-चार नहीं होना पड़ेगा। लेकिन, हां कई लोगों में लंबे समय के बाद यह समस्या अपने आप दूर हो जाती है। डॉक्टर संजीव सीसी का कहना है, माइग्रेन अटैक से बचाव का सबसे बढिय़ा तरीका है उसके कारणों से दूर रहना।