डाक टिकट संग्रह की परम्परा को बढ़ावा देने की जरूरत: नाईक

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने डाक टिकट पर आधारित प्रदर्शनी प्रथम आंचलिक डाक टिकट उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड उत्तरपेक्स-2015 का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी में राज्यपाल ने 21 सितम्बर, 1947 को तिरंगे के चित्र वाला जारी पहला डाक टिकट भी देखा। प्रदर्शनी 30 अक्टूबर से 2 नवम्बर तक चलेगी। राज्यपाल ने इस अवसर पर सुकन्या समृद्धि योजना पर आधारित डाक टिकट का अनावरण किया। राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा सुकन्या योजना महिलाओं की उन्नति एवं विकास के लिए महत्वपूर्ण है। किसी भी परिवार में लड़की का अपना महत्व होता है। महिलाओं की विशेषता है कि वे पारिवारिक भावना को बांध कर रखती हैं। राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने द्वारा लोकसभा में प्रेषित प्राईवेट मेंबर बिल के तहत स्तनपान प्रोत्साहन तथा बच्चों की खाद्य सामग्री के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक तथा मुंबई में महिलाओं के लिए विशेष लोकल टे्रन पर खास तौर से चर्चा की। उन्होंने कहा कि समाज का मन बदलने के लिए काम करने की जरूरत है। राज्यपाल ने कहा कि डाक टिकट दिखने में तो छोटा होता है मगर अत्यन्त सुंदरता से प्रेषित किया जाता है। डाक टिकट को देखने और जमा करने का अपना अलग आनंद है। भारत विविधताओं का देश है जहां अनेक संभावनाएं हैं। डाक टिकट प्रदर्शनी के माध्यम से बच्चे, युवा तथा सभी को देश के प्राकृतिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक, साहित्यिक-कला एवं खेल आदि विषयों पर जानकारी प्राप्त होती है। इसके साथ ही हमें अपने देश के नेताओं, महापुरूषों एवं महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों की भी जानकारी मिलती है। उन्होंने कहा कि डाक विभाग अपनी विश्वास की परम्परा को बनाये रखें तथा डाक टिकट संग्रह की परम्परा को बढ़ावा देने की जरूरत है। चीफ पोस्ट मास्टर जनरल ने डा. सरिता सिंह राज्यपाल को एक स्मृति चिन्ह भी भेंट किया।