यूपी में दलित महिलाओं के यौन उत्पीडऩ का ग्राफ बढ़ा

dalitनई दिल्ली। अनुसूचित जाति की महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक होने वाले अपराध यौन उत्पीडऩ एवं बलात्कार है। भारत के 29 राज्यों में गोवा जनसंख्या की दृष्टि से 26वें स्थान पर है लेकिन अनुसूचित जाति के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर है। समग्र संख्या में देखा जाए तो भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य, यूपी में अनुसूचित जाति के खिलाफ सबसे अधिक अपराध होते हैं। यह कुछ मुख्य बिंदु हैं को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ( एनसीआरबी ) द्वारा जारी क्राइम इन इंडिया 2014 रिपोर्ट में सामने आई है। देश के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य, यूपी में अनुसूचित जाति के खिलाफ सबसे अधिक अपराधिक मामले (8,075) दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार गोवा में प्रति एक लाख अनुसूचित जाति के लोगों पर 67 लोग अपराध का शिकार बनते हैं। गौरतलब है कि राज्य में 66 फीसदी हिन्दू, 25 फीसदी ईसाई और 8 फीसदी मुसलमान हैं। अनुसूचित जाति के खिलाफ होने वाले अपराध में गोवा के बाद राजस्थान ( 66 ) एवं आंध्र प्रदेश ( 49 ) का स्थान है। अनुसूचित जाति के खिलाफ सबसे अधिक होने वाले अपराध महिलाओं की लज्जा भंग करना है ( आईपीसी धारा 354 )। धारा को और आगे यौन उत्पीडऩ (धारा 354्र आईपीसी), महिला की इज्जत के साथ खेलने के जबरदस्ती करना या फिर उसके कपड़े उतारना ( धारा 354 आईपीसी ), किसी महिला के प्राइवेट ऐक्ट की तस्वीर लेना और उसे लोगों में फैलाना ( धारा 354आईपीसी ), किसी महिला का जबरन पीछा करना या कॉन्टैक्ट करने की कोशिश करना ( धारा 364 आईपीसी ) एवं अन्य में वर्गीकृत किया गया है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, अनुसूचित जाति के खिलाफ कम से कम 47,064 अपराधिक मामले दर्ज की गई है। पिछले पांच वर्षों में अपराधिक मामलों में 44 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2010 में जहां यह आंकड़े 32,712 दर्ज की गई थी जबकि 2014 में यह आंकड़े बढ़कर 47,064 हुए हैं। हाल ही में अनुसूचित जातियों में सबसे नीची जाति, दलित के खिलाफ अपराध में मामले काफी सुर्खियों में रहे हैं। हाल ही में कर्नाटक में एक युवा दलित लेखक पर जानलेवा हमला किया गया था। लेखक को जाति व्यवस्था के खिलाफ लिखने पर उसके हाथ काट देने की धमकी भी दी गई थी। पिछले साल अक्टूबर में हरियाणा में, उंची जाति के राजपूतों ने अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए दो दलित बच्चों को ज़िंदा जला दिया था। इस संबंध में दूसरा स्थान राजस्थान (8,028), तीसरा बिहार (7,893), चौथा मध्यप्रदेश (4,151) एवं पांचवा आंध्रप्रदेश (4,114) का है। देश भर में अनुसूचित जाति के खिलाफ हुए अपराध में से 69 फीसदी मामले इन पांच राज्यों में दर्ज की गई है। अनुसूचित जातियों के खिलाफ हुए अपराधिक मामलों में से सबसे अधिक मामले महिलाओं की लज्जा भंग करना (2,742), बलात्कार (2,388), गंभीर रुप से शारीरिक हानि (2,267), दंगे (932) एवं अपहराण (884) के ही मामले हैं। कुल 794 मामलों के दर्ज होने के साथ हत्या छठा सबसे अधिक होने वाला अपराध है। अनुसूचित जातियों के खिलाफ हुए 47,064 अपराधों में 40,300 मामले भारतीय दंड संहिता और अत्याचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई है।