गांव में पंचर बनाता था डॉन अबू सलेम

आजमगढ़। मुंबई में कभी आतंक का दूसरा नाम रहा माफिया डॉन अबु सलेम और छोटा राजन के बीच दुश्मनी पुरानी है। अबू सलेम आजमगढ़ सरायमीर गांव का रहने वाला है। पिता की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद परिवार की मदद करने के लिए उसने गांव में मैकेनिक का काम शुरू किया था। उसे गरीबी में जीना बिल्कुल पसंद नहीं था। पैसा कमाने की चाहत साल 1984 में उसे मुंबई खींच लाई और यहां पहुंचकर वो डॉन बन गया। दाऊद के साथ मिलकर अबू सलेम ने रियल स्टेट के कारोबार में काम करना शुरू कर दिया। यही उसकी छोटा राजन ने अनबन हुई थी। साल 1995 में बिल्डर प्रदीप जैन की हत्या के बाद अबू सलेम का नाम सुर्खियों में आया और छोटा राजन से उसकी दूरियां पहले से ज्यादा बढ़ गईं।
अबू सलेम आखिरी बार सरायमीर मां के इंतकाल पर आया था। उसके पिता साधारण वकील थे और परिवार काफी बड़ा था। पिता की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद सारी जिम्मेदारियां उसके ऊपर आ गई थीं। परिवार संभालन के लिए उसने गांव में मैकेनिक का काम शुरू किया। कुछ दिन तक ये काम करने के बाद उसने दिल्ली जाकर टैक्सी चलाना शुरू कर दिया। वहां से सलेम ने मुंबई का रुख किया। साल 1985 में उसने होटल में खाना पहुंचाने के लिए डिलीवरी ब्वॉय का काम करना शुरू कर दिया। तभी उसकी मुलाकात दाऊद के भाई अनीस इब्राहिम से हुई और वो जुर्म की काली दुनिया का हिस्सा बन गया।