नीतीश और लालू का सोशल इंजीनियरिंग

lalu nistishपटना (आरएनएस)। बिहार में करीब 15 वर्ष तक अपने करिश्माई अंदाज के बल पर शासन करने के बाद 22 सीटों तक सिमट गए लालू प्रसाद यादव को नीतीश कुमार के साथ से ऐसी ताकत मिली कि इस बार के विधानसभा चुनाव में उनका राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सबसे बड़े दल के रूप में खड़ा हो गया। वर्ष 1990 से 2005 तक बिहार में एकछत्र राज करने वाले यादव की पार्टी राजद वर्ष 2010 के चुनाव में 22 विधानसभा सीट तक ही सिमट कर रह गयी थी लेकिन इस बार नीतीश कुमार के विकास के निश्चय और लालू प्रसाद यादव के सोशल इंजीनियरिंग ने ऐसा कमाल दिखाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकास का मुद्दा और उनका करिश्मा ही छोटा नहीं पड़ गया बल्कि राजद सबसे बड़े दल और महागठबंधन के मजबूत ताकत के रूप में खड़ा हो गया। इस बार जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और कांग्रेस के साथ समझौता कर 100 सीट पर चुनाव लडऩे वाले यादव अपने दोनों बेटे तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव के साथ 80 उम्मीदवारों को जीत दिलाने में कामयाब हो गए। यादव का पिछले चुनाव तक ऐसा बुरा हाल हो गया था कि वे अपनी पार्टी के विधायक को जिताना तो दूर अपनी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी तक को जीत नहीं दिला सके थे। पिछले विधानसभा चुनाव में राबड़ी देवी राघोपुर और सोनपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ी थीं लेकिन दोनों सीटों से हीं उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा था। उस चुनाव में राजद क्ज्ञ मत प्रतिशत 27.31 पर पहुंच गया था।